नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार से गुरुवार को मिलने जा रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को यमुना एक्सप्रेस-वे पर रोक लिया गया, जिसके बाद दोनों नेता यहां से पैदल ही निकल पड़े. गुरुवार की सुबह खबर आई थी कि राहुल-प्रियंका पीड़ित परिवार से मिलने जाने वाले हैं. हालांकि, इसके बाद प्रशासन की ओर से कहा गया था कि हाथरस में 1 सितंबर से 31 अक्टूबर तक कोरोनावायरस को देखते हुए धारा 144 लागू की गई है. उनके आने से पहले यूपी प्रशासन ने बड़ी संख्या में इकट्ठा होने पर रोक लगा दी थी और कई जगहों पर नाकेबंदी भी कर दी थी.
राहुल-प्रियंका के काफिले के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी थे, जिन्होंने रोड ब्लाॉक किया था और नारे लगा रहे थे. उन्होंने दिल्ली से यूपी का बॉर्डर भी क्रॉस कर लिया था लेकिन उनके काफिले को ग्रेटर नोएडा के परी चौक पर रोक लिया गया. लेकिन राहुल-प्रियंका ने गाड़ी से उतरकर पैदल चलना शुरू कर दिया. उनके साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी थे.
बता दें कि सुबह से ही पीड़िता के गांव में मीडिया के जाने पर भी रोक लगाई गई है. यूपी के अधिकारियों का दावा है कि यहां पर 1 सितंबर से ही प्रतिबंध लगाए थे, जिसे बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दिया गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया है कि कई पुलिसकर्मियों में कोविड के लक्षण नजर आए थे.
कांग्रेस के प्रदेश मीडिया संयोजक ललन कुमार ने न्यूज एजेंसी भाषा को बताया है कि प्रियंका और राहुल के काफिले को परी चौक इलाके में रोक लिया गया, जिसके बाद वो पैदल ही हाथरस के लिए रवाना हो गए. जहां उन्हें रोका गया था, वहां से हाथरस की दूरी 142 किलोमीटर है.
हाथरस के डीएम पी.के. लक्षकार ने बताया कि जिले में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जो आगामी 31 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी. जिले की सभी सीमाएं सील कर दी गयी हैं. उन्होंने सभी से जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है.
बता दें कि 14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में गैंगरेप का शिकार हुई पीड़िता की मंगलवार को दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. उसके शरीर में कई फ्रैक्चर आ गए थे, इतनी गंभीर चोटें लगी थीं कि वो पैरालाइज़ हो गई थी. उसके गले में ऐसी चोट आई थी कि उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. पुलिस ने बताया है कि उसकी जीभ में गहरा कट था, जो गला दबाने के वजह से जीभ बाहर आने के चलते बना होगा. पीड़िता की मौत के बाद और यूपी पुलिस पर ढिलाई करने के परिवार के आरोप के बाद मामले पर आक्रोश फैला, लेकिन असली बवाल तब शुरू हुआ जब यूपी पुलिस पीड़िता का शव लेकर उसके गांव पहुंची और जबरदस्ती परिवार को दरकिनार कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया. इस घटना को लेकर राज्य की योगी सरकार चारों और से निशाने पर आ गई है. कई विपक्षी पार्टियों सहित बीजेपी की सहयोगी पार्टियों और पार्टी के नेताओं ने पुलिस पर कार्रवाई की मांग की है.
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