नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को बॉम्बे हाईकोर्ट से दूसरे दिन भी जमानत नहीं मिली। इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में शुक्रवार को अंतरिम जमानत अर्जी पर सुनवाई अधूरी रह गई। इस पर शनिवार को सुनवाई होगी। अर्नब को 18 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। उन्हें एक स्कूल में बने कोविड सेंटर में रखा गया है।
हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे व जस्टिस एमएस कार्णिक की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, आमतौर पर जमानत के लिए पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट फिर सत्र न्यायालय में आवेदन होता है। जमानत न मिलने पर हाईकोर्ट में अर्जी दी जाती है।
इस पर गोस्वामी के वकील हरीश साल्वे ने कहा, हाईकोर्ट को जमानत आवेदन पर सुनवाई का विशेष अधिकार है। उनके मुवक्किल की स्वतंत्रता दांव पर है। राज्य सरकार उन्हें परेशान करना चाहती है, क्योंकि उन्होंने अपने चैनल पर राज्य सरकार से सवाल पूछे थे। राज्य सरकार अर्नब को सबक सिखाना चाहती है। उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई है।
भाजपा विधायक और तीन अन्य हिरासत में
भाजपा विधायक राम कदम ने अर्नब की गिरफ्तारी के विरोध में मंत्रालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। पुलिस ने राम कदम और तीन अन्य को हिरासत में लिया और बाद में रिहा कर दिया। पुलिस उपायुक्त (जोन 1) शशिकुमार मीणा ने कहा, कदम बिना अनुमति विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
उद्धव ठाकरे का भी नाम
अन्वय नाईक के जिस सुसाइड नोट पर अर्णब को गिरफ्तार किया गया है, वैसे ही उस्मानाबाद में खुदकुशी करने वाले एक किसान दिलीप ढवले की पत्नी वंदना ढवले ने राज्य सरकार से न्याय मांगा है।
दरअसल, उस्मानाबाद में शिवसेना सांसद ओमराज निंबालकर ने दिलीप की चार एकड़ जमीन पर बैंक से कर्ज लिया था, लेकिन चुकाया नहीं। इससे परेशान होकर दिलीप ने 12 अप्रैल, 2019 को अपने खेत में आत्महत्या कर ली थी। ढवले के सुसाइड नोट में निंबालकर के अलावा उद्धव का भी नाम लिखा था।
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