जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : Maa Kalratri : नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है। इस दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। माँ कालरात्रि को महायोगीश्वरी, महायोगिनी और शुभंकरी भी कहा जाता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की काल से रक्षा होती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं। मां कालरात्रि की पूजा-आराधना से भय और रोग का नाश होता है। साथ ही भूत प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियां भी समाप्त हो जाती हैं। आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि और मन्त्र-
पूजा विधि
- शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान करें।
- स्नान के बाद माता के सामने घी का दीपक जलाएं।
उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें। - मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है।
- इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है।
- मां कालरात्रि को गुड़ या उससे बने पकवान का भोग लगाएं।
- पूजा समाप्त होने के बाद माता के मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें।
- साथ ही दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
Maa Kalratri : मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .
ॐ कालरात्र्यै नम:
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