नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): डायबिटीज (Diabetes) अनियमित व खराब जीवन शैली के कारण होने वाली खतरनाक बीमारी में से एक है। एक मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के हर 6 मधुमेह रोगी में से एक भारतीय है। इसके मुताबिक भारत में करीब 77 मिलियन लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। बता दें कि जब शरीर में ब्लड शुगर का स्तर अनियमित हो जाता है तो डायबिटीज (Diabetes) का खतरा ज्यादा हो जाता है। कई बड़ी बीमारियों को ठीक करने में योग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों को डॉक्टर दवाइयों के साथ फिट रहने के लिए योग करने की भी सलाह देते हैं। सूर्य नमस्कार भी मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है।
क्या है सूर्य नमस्कार: 10 अंगों की मदद से किए जाने वाले सूर्य नमस्कार में कुल 12 तरह के आसन होते हैं। पूरे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है योग का एक प्रकार। इसमें जिन आसनों को किया जाता है उसे कुछ खास नामों से जाना जाता है। प्रणामासन, हस्तउत्तानासन, हस्तपदासन, अश्वसंचालन आसन, चतुरंग दंडासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, अधोमुख स्वानासन, अश्व संचालनासन, हस्तपदासन, हस्तउत्तानासन, प्रणामासन
वजन कम करने में मददगार: इन 12 आसनों को अगर तेजी से किया जाए तो सूर्य नमस्कार बतौर कार्डियो वास्कुलर वर्क आउट भी कार्य करते हैं। इससे पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिससे बेली फैट यानी पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है। साथ ही, इस योग को करने से पूरे शरीर का वजन भी नियंत्रित होता है।
दूर होती हैं स्किन प्रॉब्लम्स: डायबिटीज (Diabetes) के मरीज स्किन प्रॉब्लम्स से भी तंग रहते हैं, ऐसे में सूर्य नमस्कार करना उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। माना जाता है कि रोजाना सूर्य नमस्कार करने से आपकी त्वचा ज्यादा समय तक जवान रह सकती है। इस योग को करने से चेहरे पर झुर्रियां देर से आती हैं और स्किन में ग्लो भी आता आता है। सूर्य नमस्कार को अपनी रूटीन का हिस्सा बनाने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है जिस वजह से आपके चेहरे पर निखार आती है।
बच्चे भी कर सकते हैं सूर्य नमस्कार: इस योग को करने से चित्त शांत होता है और बच्चों में फोकस की क्षमता बढ़ती है। वो एकाग्र होकर अपने कार्यों को अंजाम देते हैं। साथ ही, सूर्य नमस्कार करने से बच्चों में सहनशक्ति भी बढ़ती है। यही नहीं, एग्जाम टाइम में जो बच्चों में स्ट्रेस होता है, उसे दूर करने में भी ये योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि 5 साल के बाद बच्चे भी इस आसन को कर सकते हैं।
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