नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट)–Attorney General Statement…अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा है कि कानूनी सहायता कोई वैकल्पिक परमार्थ नहीं है और वकीलों के नि:शुल्क कार्य को ‘‘सौतेला बच्चा’’ मानने की ‘‘बुराई’’ चिंता का कारण तथा निंदनीय है। उन्होंने कहा कि जो लोग सोचते हैं कि कानूनी पेशे में प्रगति केवल कॉर्पोरेट या सरकारी काम के माध्यम से होती है, वे अपने पेशे के बुनियादी सिद्धांतों के प्रति गंभीर नहीं हैं।
Attorney General Statement…वेंकटरमणी ने ‘कानूनी सहायता तक पहुंच’ विषय पर राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) द्वारा आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘वकीलों की कानूनी सहायता को सौतेले बच्चे के रूप में मानने की मूल बुराई चिंता का कारण है। कानूनी सहायता कोई वैकल्पिक परमार्थ नहीं है, मैं इस तरह के रवैये की निंदा करता हूं।’ वेंकटरमणी ने कहा कि कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत गतिविधियों के क्षेत्रों में कई प्रगति के बावजूद, सवाल यह है कि ‘हम कानूनी सेवाओं के काम में गरिमा और प्रतिष्ठा कैसे उत्पन्न करें?’ अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सामाजिक रूप से प्रासंगिक कानूनी सेवाओं में भागीदारी पेशे का गौरवपूर्ण और नैतिक आयाम होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप एक नैतिक डॉक्टरेट सम्मान के रूप में मैग्सेसे पुरस्कार नहीं तो पद्म पुरस्कारों की आकांक्षा करना चाहते हैं, तो कानूनी सेवाओं का हिस्सा बनें और लोगों को कानूनी एवं असमान न्याय प्रणाली में असमान अवसरों से मुक्ति दिलाने में सक्षम बनाने के कार्य में शामिल हों।’’
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