जालंधर(वीकैंड रिपोर्ट)- Corporation News बेशक जालंधर नगर निगम चुनाव में आप ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की हैं लेकिन बहुमत के आंकड़े के लिए उसे दूसरे दलों के जीते हुए पार्षदों को अपने में शामिल करना पड़ा। वहीं लुधियाना में स्थिति रोचक हुई पड़ी है। लुधियाना नगर निगम चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं हो सका है। वैसे आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है फिर भी निगम की सत्ता पर काबिज होने के लिए पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है।
ऐसे में चर्चा है कि जिस कारण कांग्रेस और भाजपा 1992 का इतिहास दोहरा सकते है। लुधियाना नगर निगम के लिए जब पहली बार चुनाव हुए थे तो उस समय भी किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। उस वक्त कांग्रेस के समर्थन से यह फैसला किया गया था कि ढाई ढाई साल के लिए दोनों पार्टिया मेयर बनाएंगी। जिसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता चौधरी सतप्रकाश को मेयर बनाया गया था। भाजपा और कांग्रेस में समझौता हुआ था कि ढाई ढाई साल के लिए मेयर बनाया जाएगा, लेकिन चौधरी सतप्रकाश के कामकाज को देखते हुए दोबारा से फैसला लिया गया कि पूरे कार्यकाल के लिए उन्हें ही मेयर रहने दिया जाए। जिस कारण भाजपा पहली बार मेयर का कार्यकाल पूरा करने में सफल रही थी।
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