धर्म (वीकैंड रिपोर्ट) : shri Krishna Janmashtami : भगवान कृष्ण के हजारों नामों में से एक नाम है “मोर मुकुटधारी” है। आपको बता दें कि श्रीकृष्ण द्वारा धारण किया जाने वाला मोर पंख उनका आभूषण माना जाता है। कृष्ण के सिर पर सजने वाला मोरपंख उनका हिस्सा बना और उसका परिणाम यह रहा है कि श्रीकृष्ण ने कलिकाल तक मोरपंख को अपने शीश पर लगाने का वरदान दे दिया। आइए इस बारे में विस्तार से जानते है-
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दोष दूर करने के लिए
श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. ऐसे में भगवान की कुंडली में कालसर्प दोष था. इस दोष से छुटकारा पाने के लिए ही भगवान ने मोरपंख धारण किया था. दरअसल, मोर और सांप एक दूसरे के दुश्मन माने जाते हैं. ऐसे में कहा जाता है कि मोर पंख धारण करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है.
ब्रह्मचर्य का प्रतीक
कई लोग यह मानते हैं कि मोर ब्रह्मचर्य का प्रतीक है। मोर पूरे जीवन एक ही मोरनी के संग रहती है। मोरनी का गर्भ धारण मोर के आंसुओ को पीकर होता है। अतः इसीलिए इतने पवित्र पक्षी के पंख को स्वयं भगवान श्री कृष्ण अपने मष्तक पर धारण करते हैं।
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shri Krishna Janmashtami : राधा-कृष्ण प्रेम
राधा को श्रीकृष्ण की प्रेमिका के रूप में जाना जाता है. एक बार भगवान कृष्ण बांसुरी बजा रहे थे और राधा उसपर नृत्य कर रही थीं. उनकी बांसुरी की मधुर स्वर धुन सुन मोर भी नाचने लगे थे. उसी समय एक मोर का पंख नीचे गिर गया, जिसे श्री कृष्ण ने उठाकर अपने माथे पर सजा लिया. इसके बाद श्रीकृष्ण ने इस मोरपंख को राधा के प्रेम का प्रतीक माना. कहा जाता है कि तभी से वह अपने सिर पर मोरपंख सजाते हैं.
रंगों के संयोजन
मोरपंख रंगों के संयोजन का प्रतीक भी माना जाता है. जिस तरह मोरपंख में कई रंग होते हुए भी एक लगते हैं, उसी तरह लोग प्रेम जीवन में भी रहना चाहते हैं. भगवान कृष्ण ने भी राधा से मोरपंख के रंगों के संयोजन की तरह ही प्रेम किया था. इसलिए लोग इसे राधा-कृष्ण के प्रेम से जोड़कर देखते हैं.
शत्रु और मित्र समान
भगवान श्रीकृष्ण मोर पंख धारण करके यह संदेश देना चाहते हैं कि मेरे लिए दोनों ही समान है। श्रीकृष्ण के भाई शेषनाग के अवतार थे और मोर तो नाग का शत्रु होता है। मोरपंख को माथे पर लगा कर उन्होंने यह बताया है कि मित्र और शत्रु के लिए उनके मन में समभाव है।
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