कुल्लू (वीकैंड रिपोर्ट)- Kullu Dussehra : अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आज से आगाज हो गया। मंगलवार सुबह से ही ढालपुर में देवताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। बड़ी संख्या में देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे। ढोल-नगाड़ों की मधुर ध्वनियों से पूरी घाटी गूंज उठी और देव धुनों से माहौल भक्तिमय हो गया है। हालांकि, उत्सव का आधिकारिक शुभारंभ मंगलवार शाम 4:00 बजे भगवान रघुनाथ की रथयात्रा से होगा। देवताओं के इस महाकुंभ में 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया है।
Kullu Dussehra : कुल्लू दशहरा देश के बाकी त्योहार से एकदम अलग है। इसे अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा दिया गया है। जब बाकी देश के हिस्सों में दशहरा का त्योहार खत्म हो जाता है, तब जाकर यह कुल्लू में एक सप्ताह के लिए शुरू होता है। इस परंपरा के पीछे भी राज छुपा हुआ है। 17वीं शताब्दी में राजा जगत सिंह अयोध्या से भगवान रघुनाथ की एक मूर्ति अपने साथ कुल्लू ले आए थे, फिर उन्होंने उस मूर्ति को कुल्लू के महल मंदिर में स्थापित कर दी थी।
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