नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): कृष्णा जन्माष्टमी कब है, ये सवाल हर साल की तरह इस बार भी लोग गूगल में सर्च कर रहे हैं. दरअसल कृष्ण जन्म को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं और इस त्यौहार को पूरे देश में जोर-शोर से मनाया जाता है. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को जहां साधु-संत अपने तरीके मनाते हैं तो आम जनता इसको दूसरी तरह से मनाती है. जगह-जगह पर झांकिया सजाई जाती हैं तो महाराष्ट्र में दही-हांडी के खेल का आयोजन किया जाता है. मथुरा में ब्रज सहित समूचे देश और विदेश में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा, वहीं नन्दगांव में एक दिन पूर्व इसका आयोजन किया जाएगा जहां पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का बचपन व्यतीत हुआ था.
ब्रज के मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाए जाने के बावजूद कोरोना वायरस संकट के चलते इसे इस बार सार्वजनिक रूप नहीं दिया जाएगा. न ही इस अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान आदि मंदिरों में भक्तों को विशेष प्रसाद का वितरण किया जाएगा. नन्दगांव में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही ‘खुशी के लड्डू’ बांटे जाने की परम्परा भी नहीं निभाई जाएगी.
भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्मोपलक्ष्य में जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है. विद्वानों के अनुसार वैष्णवों द्वारा परम्परानुसार भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि में सूर्यादय होने के अनुसार ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन नन्दगांव में इसके उलट श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवें दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा चली आ रही है.
ब्रज के सभी मंदिरों में उत्सव की तैयारी शुरू हो गई है और मंदिरों को सजाया-संवारा जा रहा है. श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि श्री कृष्ण जन्मस्थान पर जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाई जाएगी. इधर, ठा. द्वारिकाधीश मंदिर, वृन्दावन के ठा. बांकेबिहारी मंदिर में भी कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 12 अगस्त को ही मनाया जाएगा. ऐसी जानकारी मंदिरों के मीडिया प्रभारी और प्रबंधकों ने दी है.
जनपद मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर नन्दगांव में छह सौ फुट ऊंची नन्दीश्वर पहाड़ी पर स्थित नन्दबाबा मंदिर के सेवायत मुकेश गोस्वामी ने बताया, ‘नन्दगांव में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 11 अगस्त को परम्परा अनुरूप मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूर्णिमा से ही कृष्ण जन्म की बधाइयों का दौर शुरू हो गया है.’ उन्होंने कहा कि कोविड-19 के नियमानुसार मंदिर में सेवायतों को छोड़कर स्थानीय एवं बाहरी श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
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