अमृतसर (वीकैंड रिपोर्ट): जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में सोमवार को एक गर्भवती महिला छह घंटे तक प्रसव पीड़ा में तड़पती रही। आखिर देर शाम जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई। आरोप है कि पहले छह घंटे तक डॉक्टरों ने उसे हाथ तक नहीं लगाया, वहीं देर रात तक उसका शव भी मोर्चरी तक नहीं रखवाया। परिजनों ने कहा कि वह डॉक्टरों के खिलाफ पंजाब सरकार व मानवाधिकार आयोग से शिकायत करेंगे। उधर इस मामले का पता चलने के बाद मौके पर पहुंचे एसएमओ डॉ. अरुण शर्मा का कहना है कि अगर लापरवाही हुई तो सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।
गांव चब्बा निवासी हीरा सिंह के अनुसार उसकी 21 वर्षीय बहन दलजीत कौर नौ माह की गर्भवती थी। वो नौ महीने से सिविल अस्पताल में ही उसका चेकअप करवाते रहे। सोमवार दोपहर 1 बजे उसे लेकर सिविल अस्पताल की गायनी ओपीडी में पहुंचे। डॉक्टर को देखने को कहा तो डॉक्टर ने कुछ देर इंतजार करने को कहा। बहन की पीड़ा बढ़ रही थी और वह बैंच पर ही लेट गई। वह नर्सिंग स्टाफ सहित गायनी डॉक्टरों से बार-बार उसे देखने की मिन्नतें करता रहा, लेकिन डॉक्टरों ने उसे हाथ तक नहीं लगाया। शाम करीब 7 बजे बहन ने दम तोड़ दिया। कोख में पल रहे बच्चे की मौत हो गई।
हीरा सिंह के अनुसार डॉक्टरों की लापरवाही ने उसकी बहन और कोख में पल रहे बच्चों की जान ले ली। इसके बाद देर रात तक उसका शव भी अस्पताल में ही पड़ा रहा, लेकिन संवेदना शून्य सिविल अस्पताल के स्टाफ ने उसे मोर्चरी तक नहीं रखवाया। उन्होंने कहा कि वो डॉक्टरों के खिलाफ पंजाब सरकार व मानवाधिकार आयोग से शिकायत करेंगे, ताकि भविष्य में ऐसी घटना किसी और के साथ न हो।
एसएमओ बोले, जांच के बाद होगी कार्रवाई
घटना की जानकारी पाकर देर रात सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. अरुण शर्मा मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिवार से सारी घटना की जानकारी ली और कहा कि वह अभी मामले की जांच कर रहे हैं। किस स्तर पर लापरवाही हुई, यह जांच के बाद ही बता सकते हैं। यदि लापरवाही हुई तो सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।
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