लुधियाना (वीकैंड रिपोर्ट): इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर न तो उत्सव होगा और न ही झांकियां सजाई जाएंगी, सादगी से धार्मिक पर्व मनाया जाएगा। मंदिरों में 12 अगस्त को पर्व की धूम रहेगी। कोरोना वायरस के मद्देनजर मंदिर प्रबंधक कमेटियों ने सरकारी गाइडलाइंस अनुसार भीड़ को काबू पाने के लिए तैयारियां कर ली हैं। इस बार पारंपरिक रूप से भगवान श्री कृष्ण का झूला डाला जाएगा। वहीं प्रभु दर्शन सुबह पांच से रात आठ बजे तक ही किए जाएंगे।
इस आयोजन को लेकर हिंदू समुदाय के लोगों ने सरकार से रात 1 बजे तक मंदिर खोलने की मांग उठाई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं आया। इस कारण भक्त निराश हैं। मॉडल टाउन एक्सटेंशन कृष्णा मंदिर, श्री दुर्गा माता मंदिर जगराओं पुल, हंबड़ा रोड गोबिंद गोधाम, टूटियां वाला मंदिर, संगला वाला शिवाला, दंडी स्वामी तपोवन आश्रम, सिद्धपीठ दंडी स्वामी मंदिर, वेद मंदिर, हैबोवाल महाबली संकटमोचन मंदिर, श्री नवदुर्गा मंदिर शाम नगर समेत कई धार्मिक स्थलों में नियमों के पालन के लिए योजना बन चुकी है। यहां पर भक्तों को शारीरिक दूरी में मास्क लगाकर ठाकुर जी के बाल रूप के दर्शन कराए जाएंगे। इसके अलावा किसी प्रकार का प्रसाद, लंगर बांटने की भी इजाजत नहीं होगी।
छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर मंदिर में भेजे जाएंगे श्रद्धालु
संजय महेंद्रू बंपी, बिट्टू गुंबर, चेतन बवेजा, पवन शर्मा, तरुण गोयल ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के चलते किसी तरह का बड़ा उत्सव नहीं किया जा रहा। प्रभु के दर्शन को लेकर छोटे-छोटे समूह में भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से श्रद्धालु मायूस है। कृष्ण जन्मोत्सव की जो रौनक सामान्य दिनों में देखने को मिलती थी, वह इस बार कम ही होगी।
अनुमति न मिलना दुखदायी
महाराणा राजपूत प्रताप सभा के प्रमुख डिपंल राणा, कुमार संजीव, विनय ङ्क्षसघल, निशांत सूद ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रों महीने की अष्टमी में आधी रात 12 बजे हुआ। उस समय सभी भक्त भगवान का गुणगान करते हैं, प्रभु को भोग लगाते हैं। इस बार मंदिर एक बजे तक खुलने की अभी तक अनुमति न मिलना दुखदायी है। इसलिए सरकार व प्रशासन को जल्द इस बारे में सराहनीय फैसला लेकर भक्तों को प्रभु का पर्व मनाने के लिए व्यवस्था करनी होगी।
सरकार व प्रशासन को करने चाहिए थे प्रबंध
गगन चोपड़ा, हरीश शर्मा बॉबी, राकेश बजाज, केके सूरी, अविनाश सिक्का ने कहा कि ङ्क्षहदू परंपरा का सबसे बड़ा पर्व भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी है। अगर इस पल को ङ्क्षहदू न देख पाए, तो इससे बड़ी दुखदाय घटना कोई ओर नहीं हो सकती। प्रभु का उत्सव है, लेकिन कोरोना के कारण उत्साह से नहीं मना सकते। सरकार को चाहिए था कि प्रशासन की ओर से प्रबंध कर रात्रि पूजा में समूह बनाकर भक्तों को मंदिरों में दर्शन करने की मंजूरी दी जाती।
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