
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में जून 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Review) में देश की आर्थिक स्थिरता और महंगाई में गिरावट को देखते हुए रेपो रेट में 0.50% की कटौती का ऐलान किया है। यह लगातार तीसरी बार है जब रेपो रेट में कमी की गई है, जिससे यह दर अब 5.5% पर आ गई है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 30 मई 2025 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 691.5 अरब डॉलर पर दर्ज किया गया, जो पिछले सप्ताह के मुकाबले 1.2 अरब डॉलर कम है। हालांकि, यह भंडार अब भी आठ महीनों में सबसे ऊंचे स्तर के करीब है। RBI के मुताबिक, सितंबर 2024 के ऑल-टाइम हाई से यह लगभग 13.4 अरब डॉलर कम है।
विदेशी मुद्रा भंडार की ताकत
RBI गवर्नर ने बताया कि भारत का मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार इतना मज़बूत है कि यह 11 महीनों तक के आयात को कवर करने में सक्षम है। इसके अलावा, यह देश के कुल 96% विदेशी कर्ज को भी पूरा करने की क्षमता रखता है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक, यह भंडार 23 मई के सप्ताहांत पर 692.72 अरब डॉलर था, जो अब थोड़ा घटकर 691.5 अरब डॉलर रह गया है।
रुपये में गिरावट
इधर, अमेरिकी व्यापार नीतियों को लेकर अनिश्चितता के बीच भारतीय रुपया भी दबाव में रहा और साप्ताहिक आधार पर इसमें गिरावट दर्ज की गई। मई महीने में रुपया छह महीनों के उच्चतम स्तर तक पहुंचा था, लेकिन फिर इसमें गिरावट आई। शुक्रवार को रुपया 85.8050 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ। रेपो रेट में 0.50% की बड़ी कटौती के बाद भी रुपया ज्यादा स्थिर नहीं रह सका।
रेपो रेट में लगातार तीसरी कटौती
इससे पहले फरवरी और अप्रैल में भी RBI ने रेपो रेट में कटौती की थी, जिससे बैंकों के लिए कर्ज लेना सस्ता हो गया था। मौजूदा कटौती के बाद अब यह दर 5.5% पर आ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बाजार में लोन की ब्याज दरों में भी राहत मिल सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था में गति आने की उम्मीद है।
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