नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): कोयला ब्लॉक आवंटन में हुई गड़बड़ी के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिलीप रे को 3 साल जेल की सजा सुनायी है। दिलीप रे को बीते दिनों कोर्ट ने दोषी करार दिया था। कोयला ब्लॉक आवंटन का यह मामला साल 1999 का है। दिलीप रे के अलावा सीबीआई की विशेष अदालत ने दो अन्य दोषियों को भी 3-3 साल जेल की सजा सुनायी है।
जिस वक्त यह घोटाला हुआ था, तब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता में थी और दिलीप रे कोयला राज्य मंत्री के पद पर थे। इससे पहले सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अक्टूबर माह में दिलीप रे को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में दोषी करार दिया था और उनकी सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। रे को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि रे ने नीतियों में बिना किसी कानूनी आधार के काफी छूट दीं और अपने पद की ताकत का गलत इस्तेमाल किया।
कोयला ब्लॉक आवंटन का यह मामला झारखंड, गिरीडीह के बृहमदिहा कोल ब्लॉक से जुड़ा है। दिलीप रे के अलावा इस मामले में कोर्ट ने कोयला ब्लॉक पाने वाली कंपनी केस्ट्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के निदेशक महेंद्र कुमार, केस्ट्रोन माइनिंग लिमिटेड, तत्कालीन अतिरिक्त कोयला सचिव, 14वीं स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन प्रदीप कुमार बनर्जी और कोयला मंत्रालय के तत्कालीन सलाहकार नित्यानंद गौतम भी शामिल हैं।
कोर्ट ने रे समेत अन्य आरोपियों को आईपीसी की धारा 120बी, 409, 420 और धारा 13(1) (c) और 13 (1) के तहत दोषी ठहराया था। हालांकि दिलीप रे के वकील अभिषेक सिंघवी ने अपने बचाव में कोर्ट को बताया था कि रे का कोयला ब्लॉक आवंटन में कोई भूमिका नहीं है और ना ही स्क्रीनिंग कमेटी में उनका कोई रोल है। स्क्रीनिंग कमेटी ने ही बृहमादिहा कोयला ब्लॉक आवंटन के बारे में फैसला किया था।
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