रांची (वीकैंड रिपोर्ट): झारखंड सरकार की राज्य में गुटखा प्रतिबंधों को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में किरकिरी हुई है। दरअसल, गुटखे पर प्रतिबंध लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने न्यायाधीश से कहा कि झारखंड में इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस दौरान सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने खुद पैसे देकर गुटखा मंगवाया और पूछा कि यह कैसा प्रतिबंध है?
फरियादी फाउंडेशन की तरफ से झारखंड में गुटखा प्रतिबंध को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। शुक्रवार को इस मामले पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हो रही थी। इस दौरान सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के विशेष सचिव चंद्र किशोर उरांव ने बताया कि झारखंड में गुटखा पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया है।
मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन ने खुद पैसे देकर बाहर की दुकान से गुटखा मंगवाया और सरकार के विशेष सचिव को दिखाते हुए पूछा- यह कैसा प्रतिबंध है? उन्होंने कहा, आप (विशेष सचिव) कह रहे हैं कि प्रतिबंध है। मैंने आपने सामने ही बाहर बिक रहा गुटखा मंगवाकर दिखा दिया।
इसके बाद सचिव बैकफुट पर चले गए। उन्होंने सरकार का बचाव करते हुए आश्वासन दिया कि सरकार इस दिशा में कड़ी कार्रवाई करेगी। वहीं, मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने गुटखा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर विस्तृत जवाब देने का आदेश दिया। इस मामले पर अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी।
सरकार ने गुटखा प्रतिबंधों की दिशा में क्या किया
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्य में गुटखा की बिक्री हो रही है। इसे बाहरी राज्यों से लाया जा रहा है या इसे यहीं बनाया जा रहा है। सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए। अगर दूसरे राज्यों से गुटखा आ रहा है तो उसे रोकने की दिशा में क्या उपाय किए गए हैं। इसकी रोकथाम के लिए कैसे अधिकारी को लगाया गया है? इन सवालों का जवाब सचिव नहीं दे पाए।
प्रतिबंध से पहले क्या कोई अध्ययन रिपोर्ट बनाई गई
सुनवाई के दौरान विशेष सचिव से मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि गुटखा पर प्रतिबंध लगाने से पहले इसे लेकर कोई योजना बनाई गई थी या कोई अध्ययन किया गया था। क्या इस बात की जांच की गई थी कि प्रतिबंधों के बाद राज्य के राजस्व को कितना नुकसान होता। क्या सरकार के पास इस संबंध में कोई अध्ययन रिपोर्ट है।