नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट) : Supreme Court Order : सुप्रीम कोर्ट ने ‘हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम, 2020’ पर रोक लगाने वाले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हाई कोर्ट ने अपने स्थगन आदेश का कोई कारण नहीं बताया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से इस मामले पर 4 हफ्ते के भीतर अंतिम फैसला लेने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने हरियाणा सरकार को नियोक्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश भी दिया दिया है। उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार ने इसी महीने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय उम्मीदवारों के आरक्षण पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसल में इस कानून को अस्थिर और नैसर्गिक न्याय के खिलाफ बताया था। कोर्ट ने कहा था कि उन्हें इस तर्क में कोई फायदा नहीं दिख रहा है कि यह कानून वैध है, जो हरियाणा के बेरोजगारों के हित में होना चाहिए। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि हाईकोर्ट ने 90 सेकंड की सुनवाई के बाद ही अपना फैसला जारी किया। साथ ही राज्य सरकार ने भी कहा था कि उनके वकील की भी नहीं सुनी गई। हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम, 2020 राज्य के नौकरी चाहने वालों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देता है।
Supreme Court Order : यह कानून हरियाणा राज्य में 15 जनवरी से लागू हो चुका है। यह आदेश अधिकतम सकल मासिक वेतन या 30,000 रुपए वेतन देने वाली नौकरियों पर लागू होता है। 3 फरवरी को हाई कोर्ट ने फरीदाबाद के विभिन्न उद्योग संघों और गुड़गांव सहित राज्य के अन्य निकायों द्वारा दायर याचिकाओं पर हरियाणा सरकार के कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इस कानून के तहत हरियाणा में स्थित निजी क्षेत्र की कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्टों, पार्टनरशिप लिमिटेड कंपनियों, पार्टनरशिप फर्मों, मासिक वेतन/दैनिक वेतन पर 10 से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले कार्यालयों, विनिर्माण क्षेत्र आदि पर लागू होता है। आपको बता दें कि मार्च 2021 में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम 2020 को मंजूरी दी।