- दुनियाभर में कोरोनावायरस से एक महीने में औसतन 78 हजार मौतें हो रहीं
- अमेरिका, ब्राजील और भारत जैसे देशों में नए मामले बढ़ना चिंताजनक
वॉशिंगटन (वीकैंड रिपोर्ट): दुनियाभर में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या पांच लाख से ज्यादा हो गई है। कई देशों में संक्रमण की दूसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट ने अमेरिका, ब्राजील और भारत जैसे देशों में नए मामले बढ़ने पर चिंता जताई है।
न्यूज एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, हर 24 घंटे में 4700 से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो रही है। 1 से 27 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक, हर घंटे 196 लोगों की जान जा रही है और 18 सेकंड में एक व्यक्ति दम तोड़ रहा है।
दुनिया की एक चौथाई मौतें केवल अमेरिका में हुईं
पिछले कुछ हफ्तों में मृत्युदर में गिरावट भी आई है। दुनिया में अभी तक जितनी मौतें हुई हैं, उनमें एक चौथाई केवल अमेरिका में हुई हैं। हाल ही में यहां के दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में संक्रमण तेजी से बढ़ा है। लैटिन अमेरिका में भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। सोमवार को ऑस्ट्रेलिया ने फिर से सोशल डिस्टेंसिंग के कड़े नियम लागू कर दिए हैं।
कोरोना ने मलेरिया, एड्स को पीछे छोड़ा
केवल पांच महीनों में कोरोना की वजह होने वाली मौतों की संख्या ने मलेरिया से सालाना मरने वालों की संख्या से ज्यादा हो गई है। दुनियाभर में कोरोनावायरस से एक महीने में औसतन 78 हजार मौतें हो रही हैं। 2018 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, एड्स की वजह से एक महीने में पूरी दुनिया में 64 हजार और मलेरिया 36 हजार लोगों की मौत होती है।
दुनियाभर में बदल गईं अंतिम संस्कार की परंपराएं
- कोरोनावायरस की वजह से होने वाली मौतों से दुनियाभर में अंतिम संस्कार की परंपराएं बदल गई हैं।
- इजराइल में संक्रमण से मौत पर मुस्लिम व्यक्ति के शरीर को धोने की परंपरा की अब अनुमति नहीं है। शव को कफन के बजाय एक प्लास्टिक बॉडी बैग में लपेटा जाता है।
- इजराइल में यहूदियों की प्रथा के मुताबिक मृतक के घर सात दिन के लिए रिश्तेदार जुटते हैं। कोरोना की वजह से इस पर भी प्रतिबंध है।
- इटली में कैथोलिकों के शव बिना प्रीस्ट के आशीर्वाद और शवयात्रा के दफनाए जा रहे हैं।
- न्यूयॉर्क के कब्रगाह में शव ज्यादा आने पर रात को उनको जलाकर अंतिम संस्कार किया गया।
बुजुर्गों में खतरा ज्यादा
हेल्थ एक्सपर्ट इस बात का पता लगा रहे हैं कि उम्र के किस पड़ाव पर वायरस का खतरा ज्यादा है। अभी तक की रिसर्च से बुजुर्गों पर ही खतरा सामने आया है। कुछ यूरोपीय देश जहां पर बुजुर्गों की तादात ज्यादा थी, वहां मृत्युदर भी बहुत ज्यादा थी। यूरोपियन सेंटर फॉर डिसीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल डिपार्टमेंट की अप्रैल की एक रिपोर्ट में 20 देशों में तीन लाख मामलों पर रिसर्च की गई थी। इसमें पता चला था कि मरने वाले 46 प्रतिशत लोग करीब 80 साल की उम्र के थे।
इंडोनेशिनया में हजारों बच्चों की भी कोरोना से मौत हुई है। कहा गया कि कुपोषण, एनीमिया और स्वास्थ सुविधाओं में कमी होने से वे कोरोना का संक्रमण नहीं झेल पाए। विशेषज्ञों ने बताया कि यह सब रिसर्च देशों के आधिकारिक आंकड़ों पर है और इन आंकड़ों से पूरी कहानी पता नहीं चलती है।
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