चंडीगढ़ (वीकैंड रिपोर्ट): पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले को लेकर पंजाब सरकार की परेशानी बढ़ती जा रही है। संत समाज ने 10 अक्टूबर को पंजाब बंद का आह्वान किया है। इस बंद के समर्थन में आम आदमी पार्टी (आप) के अलावा भारतीय जनता पार्टी समेत शेड्यूल्ड कास्ट अलाइंस खुलकर सामने आए हैं। यही नहीं, घोटाले को लेकर पूर्व आइएएस अधिकारी एसआर लद्दड़ भी इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खेले हुए हैं। राजनीतिक पार्टियां व सामाजिक संगठन सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री साधू सिंह धर्मसोत को कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।
शेड्यूल्ड कास्ट अलाइंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ ने संवाददाता सम्मेलन में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर अनुसूचित जाति के छात्रों का भविष्य बर्बाद करने का आरोप लगाया है। कैंथ ने कहा कि संत समाज और सभी अनुसूचित जाति संगठन के कार्यकर्ता 10 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक पंजाब भर में चक्का जाम करेंगे।
आप ने सीएम के फार्म हाउस का घेराव करने का किया प्रयास
इस घोटालेे में विभाग के ही मंत्री साधू सिंह धर्मसोत को क्लीन चिट देने के खिलाफ आप के विधायक दल के नेता हरपाल चीमा की अगुआई में आप कार्यकर्ताओं ने वीरवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सिसवां स्थित फार्महाउस का घेराव करने की कोशिश की। हालांकि पहले से मौजूद पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया। इस दौरान दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की भी हुई। इस पर आप नेता वहीं धरने पर बैठ गए।
चीमा ने कहा कि पोस्ट मैट्रिक घोटाले में कांग्रेस सरकार ने मंत्री को क्लीन चिट देकर अनुसूचित जाति समाज के लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत पर पहले से ही शक था। एक तरफ जांच रिपोर्ट यह कह रही है कि मंत्री ने फंडों का नियमों के विपरीत जाकर भुगतान किया। वहींं, दूसरी तरफ सरकार के अधिकारी मंत्री को क्लीन चिट दे रहे हैं। इसी कारण हम 10 अक्टूबर को पंजाब बंद का समर्थन करते हैं। धरने में पुलिस और आप नेताओं के बीच धक्कामुक्की भी हुई।
यह है मामला
पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप में 63.91 करोड़ रुपये के घोटाले की बात तब सामने आई थी जब विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी कृपा शंकर सरोज ने अपनी जांच रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी विनी महाजन को सौंपी थी। इस जांच का खुलासा दैनिक जागरण ने किया था। इस मामले में मुख्यमंत्री ने चीफ सेक्रेटरी से पुन: जांच करवाई। इस जांच में यह निकला कि सात करोड़ रुपये के फंड नियमों के विपरीत इंस्टीट्यूट को वितरित किए गए। फंड जारी करने की फाइलों पर मंत्री के भी साइन थे। इसके बावजूद जांच में मंत्री को क्लीन चिट दी गई।