छत्तीसगढ़ (वीकैंड रिपोर्ट): जहां लोग त्यौहारों को खुशियों के शुभ मौके से जोड़ कर देखते हैं और शुभ प्रतीक मानते हैं तो वहीं ऐसे भी कई गांव हैं जहां होली मनाना अशुभ माना जाता है। छत्तीसगढ़ के कुछ ऐसे गांव हैं जहां माना जाता है कि अगर कोई गुलाल उड़ता है तो ये उसके लिए भायनक साबित होता है। जी हां, लोगों का कहना है कि इस मान्यता की वजह से पिछले 100 सालों से गांव में होली नहीं मनाई गई।
लोगों का दावा है कि अगर किसी ने अगर होली के रंगों को उड़ा दिया तो उसकी मौत पक्की है। गांव वालों का कहना है कि 100 साल पहले एक जमींदार ने होली खेली थी जिसकी वजह से उसको इसकी कीमत अपनी जान से चुकानी पड़ी थी। ये मामला है रायगढ़ जिले के बरमेला व्लाक के हट्टापाली समेत अमलीपाली, छिंदपतेरा, मंजूरपाली, जगदीशपुर का। जहां लोगों में ये खौफनाक कहानी काफी चर्चित है। गांव में न तो होलिका दहन होता है न ही रंग खेले जाते हैं। गांव के एक बुजुर्ग का कहना है कि उन्हें अंदाजा नहीं है कब से गांव में होली नहीं मनाई गई। जब से उन्होंने होश संभाला है तब से पूर्वजों से होली न मनाने की बात सामने आई है।
उनका दावा है कि कई सालों पहले एक जमींदार ने यहां होली खेली थी जिसके बाद गांव में एक शेर गांव में आ गया था और उस जमींदार को उठाकर ले गया था। इस घटना के बाद गांव के एक बैगा को एक सपना आया। जिसके बाद उसने गांव वालों से कहा कि गांव में मंजुरपलिहिन देवी का मंदिर बनाना होगा और उसकी पूजा करने से सबकी रक्षा होगी। साथ ही उसने कभी होली न मनाने के निर्देश दिए। इसके बाद गांव के लोगों ने बैठक कर यह निर्णय लिया गया कि अब से होली नहीं मनाई जाएगी।
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