नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। हालांकि कोरोना के चलते सार्वजनिक गणेश पंडालों को सजाने की पाबंदी भी है। मगर बप्पा के भक्तों का उत्साह कभी कम नहीं होता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव पर घर-घर स्थापित बप्पा का विसर्जन अंनत चतुर्दशी पर किया जाता है। इस बार अंनत चतुर्दशी 1 सितंबर को है, लेकिन भक्त अपने-अपने हिसाब से 3, 5, 7 और 10 दिनों में भी गणेश विसर्जन कर सकते है हालांकि अंतिम विसर्जन 10वें दिन ही किया जाता है।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहुर्त
सुबह: 9 बजकर 10 मिनट से 1 बजकर 56 मिनट
दोपहर: 3 बजकर 32 मिनट से 5 बजकर 7 मिनट
रात्रि: 8 बजकर 7 मिनट से रात के 9 बजकर 32 मिनट तक।
कोरोना महामारी में कैसे करें गणपति विसर्जन
कोरोना काल में इस बार सामूहिक रूप से गणपति विसर्जन जलाशयों और समुन्द्र में नहीं किया जा सकेगा। ऐसे में घर पर ही गणेश जी का विसर्जन करना उत्तम रहेगा।
घर पर गणपति विसर्जन की विधि
उसके लिए एक पात्र में पानी भरकर उसमें गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित करें और उसके बाद उस मिट्टी का प्रयोग पौधों में किया जा सकता है। लेकिन इस जल को तुलसी में न चढ़ाएं क्योंकि तुलसी गणपति पूजन में वर्जित होती है।
मंत्र
आवाह्न न जानामि न जानामि विसर्जनम।
पूजां च न जानामि क्षमस्व परमेश्वरम।।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनम भक्तिहीनम सुरेश्वर।
यत्पूजितं मयादेव परिपूर्ण तदस्तु मे।।
गणपति विसर्जन की परंपरा की शुरुआत
हिन्दू शास्त्रों के मतानुसार, महर्षि वेदव्यास ने गणेश चतुर्थी से गणपति को महाभारत की कथा सुनाना आरंभ किया था। लगातार दस दिनों तक वेदव्यास आंखे बंद कर गणपति को कथा सुनाते रहे और गणपति उसे बिना आराम किए लगातार लिखते रहे। दस दिनों के बाद जब महाभारत की कथा पूरी हुई तो वेदव्यास जी ने आंखे खोलीं, तो देखा कि लगातार लिखते हुए गणपति के शरीर का तापमान बढ़ गया था, तब गणपति के तापमान को कम करने के लिए वेदव्यास ने तालाब में गणपति को स्नान कराया। जिसके बाद उनके शरीर का तापमान सामान्य हुआ। जिस दिन उन्होंने गणपति को स्नान कराया था, उस दिन अनंत चर्तुदशी थी, इसलिए इस दिन को गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाने लगा।