
नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट)- One Nation One Election : केंद्र सरकार ने इसी माह संसद का विशेष सत्र बुलाया है। यह सत्र कई मायनों में अहम रहने वाला है। ऐसी चर्चाएं की जा रही हैं कि सरकार इस सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन का बिल ला सकती है। अगर ऐसा होता है तो देश की राजनीति पर इसका बहुत असर पड़ेगा। सबसे बड़ी बात लोगों का समय और चुनाव आयोग का खर्चा भी बचेगा।
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दरअसल बार-बार आदर्श आचार संहिता लगाए जाने से विकासात्मक परियोजनाएं और अन्य सरकारी गतिविधियां निलंबित हो जाती हैं… बार-बार चुनावों का बड़ा अमूर्त प्रभाव यह होता है कि सरकार और राजनीतिक दल लगातार प्रचार मोड में रहते हैं। लगातार होने वाले चुनाव के चलते सरकार या सियासी पार्टियां हमेशा चुनावी मोड में रहती है। चुनाव को ध्यान में रखते हुए लोकलुभावन वादे किए जाते हैं, जिससे जरूरी योजनाओं का क्रियान्वयन ठप्प पड़ जाता है। लक्षित लोगों को ध्यान में रखते हुए किए वादे की होड़ में जरूरी सेवाएं लोगों तक नहीं पहुंच पातीं।
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One Nation One Election : एक देश-एक चुनाव का रोस्टर फॉर्मूला अगर इसी लोकसभा चुनाव में लागू हुआ तो उत्तर प्रदेश, कर्नाटक पंजाब जैसे राज्यों में वक्त से पहले चुनाव हो जाएंगे। रोस्टर फॉर्मूला के मुताबिक लोकसभा चुनाव के ढाई साल बाद बाकी के राज्यों में विधानसभा के चुनाव होंगे। इसके हिसाब से 2026 के मध्य में बाकी बचे राज्यों में चुनाव हो सकते हैं। पंजाब, यूपी विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2027, गुजरात-हिमाचल विधानसभा का कार्यकाल दिसंबर 2027 और कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2028 तक है।
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