चंडीगढ़ (वीकैंड रिपोर्ट) : High Court Order for UAPA : पंजाब में बर्खास्त किए गए पुलिसकर्मियों पर अनलॉफुल एक्टिविटज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) लगाने को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने कहा कि एस.एस.पी. को किसी भी मुलाजिम पर धाराएं लगाने का कोई अधिकार नहीं है। यानी कि एस.एस.पी. की शिकायत पर किसी भी मुलाजिम पर यू.ए.पी.ए. और पी.एम.एल.ए. के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती। सरकार को इस मामले में एक महीने में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि ये दोनों धाराएं मामूली नहीं हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि एसएसपी ने इन दोनों विशेष अधिनियमों को लागू करने की गुंजाइश का पता लगाए बिना ही इसके लिए सिफारिश कर दी जो गलत है। हाईकोर्ट ने आदेश पारित होने के तीन महीने के भीतर आवश्यक कार्रवाई का पंजाब सरकार को आदेश दिया है।
High Court Order for UAPA : गौरतलब है कि जालंधर, मानसा के साथ-साथ पंजाब के कई जिलों के अधिकारियों ने इन जिलों के मुलाजिमों पर कार्रवाई की थी। एक याचिकाकर्ता हरमीत लाल ने इस संबंधी याचिका हाई कोर्ट में लगाई थी। जिसमें हाईकोर्ट में जांच में पाया कि गैरकानूनी तरीके से यू.ए.पी.ए और पी.एम.एल.ए. अधिनियम भी साथ में जोड़ दिए गए थे। पंजाब पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ विभाग की कार्रवाई के साथ-साथ आपराधिक कार्रवाई करते हुए उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया था, जिस पर मुलाजिम ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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