नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): कोरोना से जूझ रही अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने धनतेरस के दिन कई बड़ी घोषणाएं की हैं। मोदी सरकार ने कोरोना काल के कारण पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था को दोबारा गति प्रदान करने के लिए गुरुवार को आत्मनिर्भर 3.0 पैकेज योजना की घोषणा की। कोरोना काल में जिनकी नौकरी चली गई थी, उनके लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का ऐलान किया गया है। आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का मकसद संगठित क्षेत्र में रोजगार देने की कोशिश है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को आत्मनिर्भर पैकेज 3.0 की घोषणा करते हुए कहा कि पिछले वर्ष मार्च में प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना शुरू की गई थी और अब यह नई योजना शुरू की गई है। इसका लाभ उनको मिलेगा जिनकी नौकरी कोरोना काल में चली गई है। यह योजना कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO में रजिस्टर्ड लोगों को मिलेगी। ये योजना 1 अक्टूबर 2020 से लागू होगी और 30 जून 2021 तक चलेगी।
इन लोगों को मिलेगा लाभ
वित्त मंत्री ने कहा कि इसके तहत ऐसे लोगों को लाभ होगा, जिनकी सैलरी 15 हजार रुपए मासिक से कम है और वह EPFO में रजिस्टर्ड है। जिनकी नौकरी 1 मार्च से 30 सितंबर के बीच गई होगी और 1 अक्टूबर या उसके बाद रोजगार मिला हो तो उन्हें लाभ मिलेगा। इसके तहत एक हजार कम कर्मचारी वाले संगठनों में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की EPFO की 24 फीसदी हिस्सेदारी सरकार देगी जो दो वर्ष के लिए होगी। एक हजार से अधिक कर्मचारी वाले संगठनों में काम करने वालों के EPFO में सरकार कर्मचारी के अंश के 12 फीसदी का योगदान करेगी।
निर्मला सीतारमण ने इसके बारे में डिटेल जानकारी देते हुए कहा कि सब्सिडी के तहत दो साल के लिए सेवानिवृत्ति निधि में कर्मचारियों के साथ ही नियोक्ताओं के योगदान को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का योगदान (सैलरी का 12 प्रतिशत) और नियोक्ता का योगदान (सैलरी का 12 प्रतिशत), इस तरह कुल वेतन का 24 प्रतिशत हिस्सा अगले दो सालों के लिए नई भर्तियां करने वाले प्रतिष्ठानों (कंपनियों) को दिया जाएगा। आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में रजिस्टर्ड प्रतिष्ठानों को नए कर्मचारियों की भर्ती पर यह सब्सिडी मिलेगी।
वित्त मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत 15,000 रुपए से कम मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारी को गिना जाएगा। उन्होंने बताया कि इसमें 15,000 से कम सैलरी पाने वाले ऐसे कर्मचारी भी शामिल होंगे, जिन्हें कोरोना महामारी के दौरान नौकरी से निकाल दिया गया था और वे एक अक्टूबर 2020 को या उसके बाद दोबारा जुड़े हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए अधिकतम 50 कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को कम से कम दो नई कर्मचारियों को भर्ती करना होगा, जबकि जिन प्रतिष्ठानों में 50 से अधिक कर्मचारी हैं, उन्हें कम से कम पांच नई भर्ती करनी होगी।
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