Those whose deeds are good, their mind is the temple – Navjeet Bhardwaj
जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) Religious News : मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में सम्पन्न हुआ। सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान सरबजीत शर्मा से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत हवन-यज्ञ मे सपरिवार आहुतियां डलवाई गई।
श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ सम्पन्ऩ
मां बगलामुखी के उपासक नवजीत भारद्वाज जी ने सिद्ध मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में हुए दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित मां भक्तों को अमृत वचनों का रसपान करवाते हुए कहा है कि इस संसार में और हमारे जीवन में घटित हो रही घटनाओं और बदल रही परिस्थितियों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है।
हम उन्हें घटने से नहीं रोक सकते हैं। लेकिन इस संपूर्ण सृष्टि में जिस वस्तु पर हमारा सबसे ज्यादा नियंत्रण है या हो सकता है तो वह है हमारे अपने कर्म। यह मनुष्यों का सबसे बड़ा सौभाग्य है कि उनके कर्म, स्वयं उनके वश में होते हैं। हम उन्हें सुधार या बिगाड़ सकते हैं। प्रत्येक कर्म बीज के समान होता है। जैसा बीज हम बोएंगे, वैसा ही फल पाएंगे।
इस दुनिया में कोई भी इंसान अपने जन्म से भाग्यशाली नहीं होता। उसे भाग्यशाली बनाते हैं उसके ‘कर्म’। इसलिए कभी भी मनुष्य को अपने स्थान पर, अपने रूप पर या अपने कुल पर गर्व नहीं करना चाहिए। उसे अगर गर्व करने की जरूरत है तो केवल अपने कर्म पर। क्योंकि भगवान भी उन्हीं का साथ देते हैं जिनके साथ उनके अच्छे कर्म होते हैं। हमें हमारे अच्छे और बुरे दोनों कर्मों का फल अवश्य मिलता है।
अपने कर्मों को अच्छे रखना इस संपूर्ण सृष्टि का सबसे बड़ा धर्म है। क्योंकि जीवन का फल कर्मानुसार मिलता है धर्मानुसार नहीं। धर्म जो भी हो लेकिन हमारे कर्म अच्छे होने चाहिए। कर्म का सारा दारोमदार अपने कंधों पर होता है और फल का सारा दारोमदार ऊपर वाले के हाथों में होता है।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि हमारे हाथों की रेखाएं हमें वहां तक भेज ही देती हैं जहां तक जाना होता है। किंतु हमारे कर्म हमें वहां तक ले जाएंगे, जहां हमें जाने की इच्छा होती है। अपने कर्मों से हम अपना भाग्य बदल सकते हैं साथ ही अगर हमारे कर्म किसी की भलाई के लिए हैं तो उनका परिणाम और भी अच्छा होता है।
हमें अपने कर्मों को भी पवित्र और बिना किसी मिलावट के रखना चाहिए। तभी हमें शांतिपूर्ण मन और आत्मा और एक सुखी जीवन प्राप्त होता है। कर्म वास्तव में मनुष्य की पूजा है क्योंकि कर्म के बिना वह पृथ्वी पर जीवित ही नहीं रह सकता। भगवान ने मनुष्य को कर्म से नवाजा है। मनुष्य अपने मस्तिष्क के उपयोग से सही कर्मों को तय कर सकता है। जिनके कर्म अच्छे होते हैं उनके लिए उनका मन ही मंदिर हो जाता है।
इस अवसर पर वेद प्रकाश, अमरेंद्र कुमार शर्मा,रिंकू सैनी,नवनीत,रोहित भाटिया,सुक्खा अमनदीप,चेतन, अवतार सैनी,अजीत कुमार, गौरी केतन शर्मा,सौरभ ,मोहित राणा,सौरभ अरोडा, उदय,नरेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह,वरुण,विवेक शर्मा, नितिश, भोला शर्मा,गुलजार खोसला,सुभाष डोगरा, अमृतपालसिंह,ऋषभ कालिया, जानू थापर,अमित शर्मा, हंसराज,संदीप शर्मा, दीपक कुमार, अश्विनी शर्मा ,कुलविंदर सिंह मल्ल, रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश,गौरव जोशी, प्रशांत,सौरभ मल्होत्रा,सुभाष डोगरा,प्रिंस, कमल नैयर, अरुण सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।
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