नई दिल्ली Delhi New Govt : दिल्ली की जनता ने इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भरोसा जताते हुए विधानसभा चुनावों में उसे सत्ता सौंप दी है। यह जीत भाजपा के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि पार्टी पिछले 27 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से बाहर थी। लोकसभा चुनावों में भाजपा को भारी समर्थन देने वाली दिल्ली की जनता विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) को पसंद करती रही थी, लेकिन इस बार समीकरण बदल गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति ने अरविंद केजरीवाल के किले में सेंध लगा दी।
Delhi New Govt : भाजपा की जीत के प्रमुख कारण
1. जमीन पर सशक्त संगठन और कार्यशैली
भाजपा ने इस बार नैरेटिव की जगह जमीनी स्तर पर काम को तरजीह दी। हरियाणा और महाराष्ट्र में हुए चुनावों से सीख लेते हुए भाजपा ने दिल्ली में भी संगठित रूप से अभियान चलाया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने झुग्गी बस्तियों से लेकर पॉश इलाकों तक हर वर्ग से संवाद किया, जिससे उसे बढ़त हासिल हुई।
2. अरविंद केजरीवाल की छवि को नुकसान
भ्रष्टाचार के आरोपों और कथित ‘शीशमहल’ विवाद ने अरविंद केजरीवाल की छवि को प्रभावित किया। आम आदमी पार्टी (आप) के भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए दावों को जनता ने गंभीरता से नहीं लिया। शराब घोटाले में केजरीवाल की गिरफ्तारी ने भी उनकी पार्टी की साख को और कमजोर किया।
3. दिल्ली के विकास पर सवाल
दिल्ली को पेरिस बनाने और यमुना को साफ करने के केजरीवाल सरकार के वादे पूरे नहीं हो सके। बुनियादी ढांचे की खस्ता हालत, ट्रैफिक की बदहाली, और प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही दिल्ली में आम जनता केजरीवाल के दावों से असंतुष्ट हो गई।
4. भाजपा का ‘रेवड़ी पॉलिटिक्स’ का जवाब
आप की मुफ्त योजनाओं की काट के लिए भाजपा ने भी अपने घोषणापत्र में महिलाओं को 2,500 रुपये महीना देने की घोषणा की। साथ ही, भाजपा सरकार ने आम जनता के लिए कर में राहत देने जैसे कदम उठाए, जिससे उसे मिडल क्लास का समर्थन मिला।
5. आरएसएस की रणनीतिक भूमिका
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए व्यापक स्तर पर काम किया। संघ कार्यकर्ताओं ने झुग्गी बस्तियों में जाकर महिलाओं और गरीब वर्ग को भरोसा दिलाया कि भाजपा सरकार बनने पर उनकी योजनाएं जारी रहेंगी। इसके अलावा, भाजपा समर्थकों को बूथ तक लाने में संघ की अहम भूमिका रही।
निष्कर्ष : Delhi New Govt of BJP
भाजपा की यह जीत दिल्ली की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत देती है। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका है, वहीं भाजपा के लिए 27 साल बाद मिली सत्ता बड़ी उपलब्धि है। पार्टी ने जिस तरह मतदाताओं को साधा, उसकी बदौलत उसने आम आदमी पार्टी के मजबूत गढ़ में सेंधमारी कर सत्ता पर कब्जा कर लिया।
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