जीटीबी नगर के रहने वाले चार्टेड अकाउंटेंट राजीव मकोल ने डीसी को शिकायत दी थी कि उन्हें कोई लक्षण नहीं थे लेकिन हिमाचल प्रदेश जाने के लिए दोस्त के कहने पर उन्होंने पटेल अस्पताल से कोरोना टेस्ट कराया था। 21 जुलाई को कोरोना टेस्ट के लिए उन्होंने 5500 रुपए दिए। जिसकी रसीद भी उन्होंने साथ में लगाई। इसके कुछ समय बाद उनका दोस्त एसआरएल लैब में गया तो उनसे सिर्फ 2400 रुपए लिए गए। उन्होंने डॉ. स्वपन सूद को फोन किया और ओवरचार्जिंग की बात कही।
इस पर डॉक्टर ने कहा कि जालंधर में उनका अकेला ऐसा अस्पताल हैं, जो कोरोना टेस्ट कर रहे हैं, इसलिए चार्जेस ज्यादा हैं। इसके अलावा उन्हें कहा गया कि छह घंटे में रिपोर्ट मिल जाएगी लेकिन रिपोर्ट उन्हें अगले दिन मिली। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने कोरोना टेस्ट की फीस 2400 रुपए तय कर रखी है, इसके बावजूद ज्यादा पैसे वसूले गए। उन्होंने पटेल अस्पताल का लाइसेंस कैंसिल करने की मांग की थी।
जांच रिपाेर्ट में यह निकला
सहायक कमिश्नर ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि जब इस बारे में पटेल अस्पताल के डॉ. स्वपन सूद को बुलाया गया तो उन्होंने कहा कि टेस्ट के लिए सिर्फ 2400 रुपए ही वसूले गए थे, जबकि 3100 रुपये लैब टेक्निशियन व अन्य स्टाफ की सेफ्टी के लिए खरीदी पीपीई किट के बदले लिए गए थे। सहायक कमिश्नर ने अपनी जांच में माना कि इस तरह पीपीई किट के लिए अलग से पैसे नहीं लिए जा सकते क्योंकि यह तो कोरोना टेस्टिंग लैब में कामकाज के लिए आइसीएमआर के अनुसार अनिवार्य ही है कि स्टाफ पीपीई किट पहनेगा।
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