
नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): फॉर्टिस वसंतकुंज के डॉक्टरों ने मुंह को सही आकार देने के लिए पहली बार 3डी-प्रिंटेड जबड़ों का प्रयोग किया। सर्जरी जनवरी में की गई थी। मरीज प्रभजीत को ओरल कैंसर था जिसमें वो अपना आधा दायां जबड़ा खो चुके थे। डॉक्टरों ने सर्जरी करके 3डी-प्रिंटेड जबड़ा लगाया। यह ऐसी पहली सर्जरी थी। प्रभजीत अब वेजिटेरियन, नॉन-वेजिटेरियन और मसाले वाला खाना भी खा रहे हैं।
प्रभजीत कहते हैं, मुझे 7 साल पहले ओरल कैंसर हुआ था। ट्रीटमेंट के दौरान दाहिना जबड़ा निकलवाना पड़ा था। 3डी-प्रिंटेड जबड़े लगवाने को लेकर मैं राजी नहीं था लेकिन डॉक्टरों के समझाने पर सर्जरी कराई और फैसला सही साबित हुआ। सर्जरी से करीब एक हफ्ते के बार हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुआ। इस दौरान में लिक्विड डाइट पर रहा।

डॉक्टर के साथ प्रभजीतडॉक्टरों में मरीज में टाइटेनियम से बने 3डी-प्रिंटेड जबड़े का इस्तेमाल किया जिसे लंदन की कंपनी रेनिशॉ ने तैयार किया था। इसे प्रभजीत के मुताबिक, विकसित कराया गया था। सर्जरी करने वाले डॉ. मंदीप सिंह मल्होत्रा के मुताबिक, सर्जरी में पहले मरीज के दाहिने जबड़े की हड्डियों को निकाल दिया गया था। इसके साथ टेम्पोरोमेंडिबुलर को भी हटाया गया, यह जबड़ों को मूवमेंट करने में मदद करता है।
सर्जन डॉ. मंदीप सिंह के मुताबिक, पहले प्रभजीत खाना नहीं खा पा रहे थे। मुंह में अल्सर के कारण दर्द बढ़ रहा था। इसके अलावा वह सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथमेटोसिस से भी जूझ रहे थे। इस बीमारी के रहते टेम्पोरोमेंडिबुलर को दोबारा बनाने के लिए सर्जरी 8 घंटे तक चली। इसमें 4 लाख रुपए का खर्च आया है।
सर्जन डॉ. मंदीप सिंह कहते हैं 3डी-प्रिंटेड जबड़े में इस्तेमाल टाइटेनियम हल्की धातु है। 2017 में मेदांता हॉस्पिटल के बोन एंड जॉइंट इंस्टीट्यूट में 3डी-प्रिंटेड रीढ़ की हड्डी को 32 साल की महिला में लगाया गया था। महिला स्पाइनल ट्यूबरकुलोसिस से जूड रही थी, सर्जरी के बाद उसे चलने-फिरने में मदद मिली।
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