नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट) : One Rank One Pension : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बुधवार को कहा कि सशस्त्र बलों में वन रैंक-वन पेंशन (OROP) एक नीतिगत फैसला है और इसमें कोई संवैधानिक दोष नहीं है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि OROPका केंद्र का नीतिगत फैसला मनमाना नहीं है और सरकार के नीतिगत मामलों में न्यायालय दखल नहीं देगा।
यह भी पढ़ें : Ujjwala Yojana – होली पर सरकार का बड़ा तोहफा, फ्री में मिलेगा 1.65 करोड़ लोगों को गैस सिलेंडर
पीठ ने निर्देश दिया कि OROP के पुनर्निर्धारित की कवायद 1 जुलाई, 2019 से की जानी चाहिए और पेंशनभोगियों को बकाया भुगतान 3 महीने में होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत्त सैनिक संघ द्वारा दायर उस याचिका का निपटारा किया, जिसमें भगत सिंह कोश्यारी समिति की सिफारिश पर 5 साल में एक बार आवधिक समीक्षा की वर्तमान नीति के बजाय स्वत: वार्षिक संशोधन के साथ ‘वन रैंक वन पेंशन’ को लागू करने का अनुरोध किया गया था।
One Rank One Pension : जाने क्या है मामला –
पूर्व सैनिकों की एक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में कहा था कि इस नीति से वन रैंक वन पेंशन (One Rank One Pension) का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। इसकी हर साल समीक्षा होनी चाहिए, लेकिन इसमें 5 साल में समीक्षा का प्रावधान है। अलग-अलग समय पर रिटायर हुए लोगों को अब भी अलग पेंशन मिल रही है।