नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट) : Employees Provident Fund : करोड़ से ज्यादा नौकरीपेशा के लिए अच्छी खबर है। EPF खाते में अगर कर्मचारी का योगदान देर से पहुंच रहा है तो इससे उसको कोई नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने शानदार व्यवस्था दी है, जिससे कर्मचारी इस नुकसान से पूरी तरह बच जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा है कि योगदान की रकम देर से पहुंचने से होने वाले नुकसान की भरपाई Employer को करनी होगी। EPFO के सबस्क्राइबर अपनी बेसिक पे का 12 फीसद योगदान करते हैं। इतना ही योगदान नियोक्ता भी करता है।
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हाईकोर्ट ने दिया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम केस में कहा कि अगर कोई नियोक्ता कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के योगदान को समय पर जमा करने में विफल रहता है, तो वह कर्मचारी को हर्जाने का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि अगर नियोक्ता EPF योगदान जमा करने में विफल रहता है तो वह हर्जाना देने के लिए जिम्मेदार है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 20 या अधिक कर्मचारियों वाले किसी भी प्रतिष्ठान में काम करने वाले लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए, कानून के मुताबिक नियोक्ता भविष्य निधि के लिए कर्मचारी के वेतन से अनिवार्य कटौती करने और ईपीएफ कार्यालय में उसके खाते में योगदान की रकम जमा करने के लिए जिम्मेदार है। पीठ ने कहा कि हमारा विचार है कि अधिनियम के तहत नियोक्ता द्वारा ईपीएफ योगदान के भुगतान में कोई भी चूक या देरी अधिनियम 1952 की धारा 14b के तहत हर्जाना लगाने के लिए एक अनिवार्य शर्त है।