नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): देश की राजधानी दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनीं झुग्गियों को फिलहाल नहीं हटाया जाएगा। यह जानकारी केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय को दी। सरकार ने अदालत में कहा कि शहरी विकास मंत्रालय, रेल मंत्रालय और दिल्ली सरकार एक साथ बैठकर चार हफ्तों में इस मामले का हल निकालेंगे, तब तक झुग्गियों को नहीं ढहाया जाएगा। इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले को चार हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया।
सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने अदालत से कहा, ‘केंद्र को दिल्ली में रेल की पटरियों के पास से 48,000 झुग्गियों को हटाने पर अभी फैसला करना है। किसी को भी नहीं हटाया जाएगा, क्योंकि फैसला रेलवे, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय के सलाह मशविरे से होगा।’ इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने केंद्र के आश्वासन को रिकॉर्ड किया और चार हफ्तों तक झुग्गी वासियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया।
Solicitor General Tushar Mehta told Supreme Court that no jhuggi will be removed right now, and railways is discussing this issue with the Delhi government & Ministry of Urban Development, & will come up with some solution.
The Court adjourned the matter for 4 weeks. pic.twitter.com/glJ8fUF222
— ANI (@ANI) September 14, 2020
हर झुग्गी में है बिजली का कनेक्शन
एक अनुमान के अनुसार, नारायणा विहार, आजादपुर शकूर बस्ती, मायापुरी, श्रीनिवासपुरी, आनंद पर्बत और ओखला में मौजूद झुग्गियों में लगभग 2,40,000 लोग रहते हैं। इस सिलसिले में उत्तर रेलवे ने सर्वोच्च न्यायालय को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि रेल पटरियों के किनारे बनीं झुग्गियां पटरियों को साफ सुथरा रखने में बाधक हैं। हालांकि दिलचस्प बात ये है कि हर झुग्गी में बिजली का कनेक्शन है। यहां रहने वालों के पास आधार और राशन कार्ड भी है।
बता दें कि इससे पहले मामले पर तीन सितंबर को सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने दिल्ली में 140 किलोमीटर तक रेल पटरियों के किनारे बनीं 48,000 झुग्गी बस्तियों को तीन माह के भीतर हटाने का निर्देश दिया था। पिछली सुनवाई में अदालत ने कहा था कि इस कदम के क्रियान्वयन में किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।