नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): शिरोमणि अकाली दल की नेता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने संसद में पेश किये गये कृषि से संबंधित दो विधेयकों के विरोध में बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।”
इससे पहले शिरोमणि अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा में कहा कि पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल संसद में लाये गये कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध में केंद्र सरकार से इस्तीफा देंगी। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा, ‘‘शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है।” विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने अन्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
अकाली दल नेता ने लोकसभा में कहा, ‘‘ मैं एक घोषणा करना चाहता हूं कि हमारी मंत्री हरसिमरत कौर बादल मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगी।” उन्होंने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी ने प्रारंभ में इन अध्यादेशों का समर्थन किया था। सुखबीर बादल ने कहा कि हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रिमंडल की बैठक में चिंता प्रकट की थी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर प्रस्तावित कानून की खामियों को रेखांकित किया था। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि इस पार्टी का इस मुद्दे पर दोहरा मानदंड है और 2019 के लोकसभा चुनाव तथा 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उसके घोषणा पत्र में एपीएमसी अधिनियम को खत्म करने का उल्लेख था।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा कि इन विधेयकों का पंजाब के 20 लाख किसानों और कृषि क्षेत्र के 15-20 लाख मजदूरों पर प्रभाव पड़ेगा। निचले सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ शिरोमणि अकाली दल ने कभी भी यू-टर्न नहीं लिया।” बादल ने कहा, ‘‘हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथी हैं। हमने सरकार को किसानों की भावना बता दी। हमने इस विषय को हर मंच पर उठाया। हमने प्रयास किया कि किसानों की आशंकाएं दूर हों लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।” उन्होंने कहा कि पंजाब में लगातार सरकारों ने कृषि आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिये कठिन काम किया लेकिन यह अध्यादेश उनकी 50 साल की तपस्या को बर्बाद कर देगा।
गौरतलब है कि केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हैं। अकाली दल, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है। चर्चा के दौरान कांग्रेस के रवनीत सिंह बिट्टू ने शिरोमणि अकाली दल पर चुटकी लेते हुए यह सबूत देने की मांग की कि हरसिमरत कौर बादल ने इन विधेयकों का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि अगर वह विधेयक के विरोध में इस्तीफा नहीं देती हैं तो बादल परिवार के लिये पंजाब में वापसी कठिन हो जायेगी।
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