चंडीगढ़ (वीकैंड रिपोर्ट): नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की तरफ से रेल यातायात ठप्प करने से 17 दिन से कोयले की सप्लाई नहीं हो सकी। पंजाब में सरकारी और प्राइवेट थर्मल प्लांटों में कोयले का भंडार नाममात्र रह गया है, जिस कारण पंजाब में बिजली का गंभीर संकट पैदा होने का डर बन गया है। दूसरी तरफ डैमों में पानी का स्तर भी पिछले साल के मुकाबले बहुत कम हो गया है जिसके साथ यह संकट और गंभीर होता दिखाई दे रहा है।
इस समय रोपड़ स्थित गुरु गोबिन्द सिंह सुपर थर्मल प्लांट में 6.16 दिन का कोयले का भंडार रह गया है, जबकि लहरा मोहब्बत स्थित गुरु हरगोबिंद थर्मल प्लांट में 4.22 दिन का कोयले का भंडार रह गया है। दूसरी तरफ प्राइवेट सैक्टर में गोइन्दवाल थर्मल प्लांट में सिर्फ 0.89 दिन का कोयले का भंडार रह गया है जबकि राजपुरा प्लांट में 6.59 दिन और तलवंडी साबो में 3.19 का कोयले का भंडार रह गया है।
यदि कोयले की सप्लाई तत्काल तौर पर न हुई तो पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड (पावरकॉम) के लिए बड़ा बिजली संकट खड़ा हो सकता है। यदि प्रदेश में थर्मल प्लांटों की तरफ से बिजली पैदा न की जा सकी तो बिजली की जरूरत पूरी करना एक चुनौती बन जाएगा। भाखड़ा डैम में जहां पिछले साल 7 अक्तूबर 2019 को पानी का स्तर 1672.79 फुट था, वह इस साल घट कर 1649.62 फुट रह गया है। डेहर डैम में पिछले साल इस दिन 2924.14 फुट पानी था जबकि इस बार यह 2921.39 फुट रह गया है। पौंग डैम में पिछले साल इस दिन 1385.27 फुट पानी था जो इस बार घट कर 1370.08 फुट रह गया है। रणजीत सागर डैम में पिछले साल इस दिन 523.48 मीटर पानी था जो इस बार घट कर 513.49 फुट रह गया है। पावरकॉम के लिए मौजूदा हालात बेहद गंभीर चुनौती बने हुए हैं। इनके साथ पावरकाम कैसे निपटता है, यह आने वाला समय ही बताएगा।
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