चंडीगढ़ (वीकैंड रिपोर्ट) : Child Marriage in Punjab : भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 2,07,978 बच्चों का बाल विवाह हुआ है, जो पूरे देश के बाल विवाह का दो प्रतिशत है। बाल विवाह के मामले में देशभर में पंजाब का 15वां स्थान है। पंजाब जैसे राज्य के लिए यह आंकड़ा चिंताजनक है। पंजाब में बाल विवाह रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रंस फाउंडेशन (केएससीएफ) ने स्वयंसेवी संस्थाओं के सम्मेलन का आयोजन किया। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान में जुटी स्वयंसेवी संस्थाओं ने पंजाब की इस स्थिति पर चिंता जाहिर की और सरकार से अपील की है कि बाल विवाह रोकने के लिए कानून का सख्ती से पालन करवाया जाए।
इस संबंध में के एससीएफ ने राज्य के सामाजिक सुरक्षा महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर चंडीगढ़ में सम्मेलन आयोजित किया। महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ पंजाब एडमिनिस्ट्रेशन के ऑडिटोरियम में हुए सम्मेलन में बाल विवाह के समूल उन्मूलन को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के ताजा आंकड़े भी साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों की तस्दीक करते हैं। सर्वे के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिनका बाल विवाह हुआ है। वहीं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में साल 2019 में छह, साल 2020 में 13 और साल 2021 में आठ मामले बाल विवाह के दर्ज किए गए।
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Child Marriage in Punjab : इस मौके पर सामाजिक सुरक्षा महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक माधवी कटारिया, पंजाब स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सदस्य व जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अरुण गुप्ता, एडीजीपी (कम्युनिटी अफेयर्स, डिवीजन एंड क्राइम अगेंस्ट चाइल्ड एंड वुमन) गुरप्रीत देव, केएससीएफ की कार्यकारी निदेशक ज्योति माथुर समेत कई गण्यमान्य लोग मौजूद रहे। बाल विवाह पर चिंता जाहिर करते हुए सामाजिक सुरक्षा महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक माधवी कटारिया ने कहा कि विभाग ने कोरोना महामारी के दौरान 32 बाल विवाह रुकवाए थे।
परिवार और समाज का सहना पड़ा विरोध
इस अवसर पर खुद का बाल विवाह रुकवाने वाली लड़की रीता भी मौजूद थीं। अब 20 साल की हो चुकी रीता ने अपने बाल विवाह को रुकवाने के दौरान सामने आई चुनौतियों के बारे में बताया। रीता ने बताया कि उसे न केवल परिवार का बल्कि समाज के विरोध का भी सामना करना पड़ा। हालांकि वह इस सबके बावजूद हिम्मत करके अपना बाल विवाह रुकवाने में कामयाब रही।
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