चंडीगढ़ (वीकैंड रिपोर्ट): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को केंद्र सरकार के कृषि कानूनों और प्रस्तावित बिजली (संशोधन) बिल को सिरे से रद्द करते हुए प्रस्ताव का मसौदा सदन में पेश किया। इस मौके पर उन्होंने राज्य के सभी राजनैतिक पक्षों को पंजाब की रक्षा करने की भावना के साथ अपने राजनैतिक हितों से ऊपर उठने की अपील की।
इस प्रस्ताव द्वारा कृषि कानूनों और प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल को रद्द करने की मांग की गई। यह भी मांग की गई कि ‘‘भारत सरकार न सिफऱ् इन कानूनों को रद्द करे बल्कि अनाज की एमएसपी पर खऱीद को किसानों का कानूनी अधिकार बनाने और भारतीय खाद्य निगम जैसी संस्थाओं द्वारा खरीद यकीनी बनाने सम्बन्धी नए अध्यादेश जारी करे।’’
विपक्ष के व्यवहार पर कैप्टन ने अफसोस जताया
मुख्यमंत्री ने सोमवार को सदन में बिल न पेश न करने पर कुछ विधायकों द्वारा विधानसभा की तरफ से ट्रैक्टरों पर कूच करने और कुछ विधायकों द्वारा विधानसभा के बरामदे में रात काटने की कार्यवाहियों करने पर अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने गहरी विचार-चर्चा और सलाह-मशवरे के बाद देर रात 9:30 बजे इन बिलों पर दस्तख़त किए।
उन्होंने कहा कि संकटकालीन समय के सत्र के दौरान ऐसे बिलों की कापियां बाँटने में देरी होती है। उन्होंने कहा कि ऐसा उस समय पर भी हुआ था, जब उनकी सरकार अपने पिछले कार्यकाल के दौरान साल 2004 में पानी के समझौतों को रद्द करने का एक्ट सदन में लेकर आई थी।
केंद्र के कानून राज्यों की शक्तियों पर हमला
विधानसभा के स्पीकर द्वारा पढ़े गए प्रस्ताव के मुताबिक यह कानून देश के संविधान में दर्ज राज्य के कार्यों और शक्तियों पर सीधा हमला हैं और उनको छल से हथियाने का यत्न है।
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