जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट): लॉकडाऊन और कफ्र्यू के दौरान आम जनता को हर तरह की सुविधा घर-घर पहुंचाने के दावे आज उस समय खोखले साबित हुए, जब लोगों ने प्रशासन द्वारा जारी दुकानदारों की फोन लिस्ट में दिए गए नंबर पर कॉल किया तो पता चाला या तो उस दुकानदार ने कुछ माह पूर्व किराने का काम बंद कर दिया है या फिर उस दुकानदार का नंबर बिना उक्त दुकानदार से बात किए उसका नंबर दे दिया है। इसके अलावा सामान की घर-घर डिलिवरी देने वालों को कफ्र्यू पास ही मुहैया नहीं करवाए गए। जरूरी चीजों दूध चारा आदि की सप्लाई लेकर पहुंचे विक्रेताओं को पुलिस की ओर से जाने नहीं दिया गया।
इसके अलावा किसी भी स्थान पर भीड़ एकत्रित ना होने देने के प्रयासों के बावजूद आज जिला मैजिस्ट्रेट के कार्यालय के बाहर कफ्र्यू पास लेने वाले दुकानदारों और दूसरी आवश्यक चीजों की आपूर्ति करने वालों की भीड़ आम दिनों की तरह प्रशसानिक कैंपस में देखने को मिली। प्रशासनिक दावों के बावजूद इन लोगों को कफ्र्यू पास जारी नहीं किए। इस कुव्यवस्था को देखकर ऐसे लग रहा कि लोग कोरोना वायरस से नहीं बल्कि भूख से मर जाएंगे।
जालंधर के डिप्टी कमिश्नर सोशल मीडिया पर वीडिया जारी कर बड़े-बड़े दावे किए थे कि आम जनता को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होने दी जाएगी और ना ही किसी आवश्यक वस्तु की अपूर्ति में कमी आने दी जाएगी। लेकिन आज शहर के मौजूदा हालात देख कर इन सारे दावों की पोल खुल गई और सब खोखले साबित हुए। ऐसा लगता है जैसे प्रशसानिक अधिकारियों के आदेशों को निचले स्तर के अधिकारी मानने में रूची नहीं दिखा रहे।
यदि यही हालात रहे तो जनता प्रशासन के खिलाफ आवाज़ बुलंद करती हुई सड़कों पर उतर सकती है और गृह युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं।
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