नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): कोरोना काल में एक ओर जहां लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी है, वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 24 घंटे में दो बैंकों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उनपर पाबंदी लगा दी है, जिससे बैंक ग्राहक चिंतित हैं। वित्तीय संकट से गुजर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगाई हैं। जिसके तहत बैंक के खाताधारक अब सिर्फ 25,000 रुपये तक की ही निकासी सकते हैं। इसके बाद महाराष्ट्र के जालना जिले में मंता अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर पाबंदी लगाई गई, जो 17 नवंबर 2020 से छह महीने तक प्रभावी होगी। आइए जानते हैं इससे बैंकों और ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा।
कर्ज देने या जमा राशि स्वीकार करने पर पाबंदी
आरबीआई ने महाराष्ट्र के जालना जिले में मंता अर्बन कोआपरेटिव बैंक पर धन के भुगतान और कर्ज के लेन देन को लेकर छह माह के लिए पाबंदी लगा दी है। इन निर्देशों के अनुसार, यह बैंक आरबीआई की अनुमति के बिना कोई कर्ज या उधार नहीं दे सकेगा और न ही पुराने कर्जों का नवीनीकरण तथा कोई निवेश कर सकेगा। बैंक पर नई जमा राशि स्वीकार करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। वह कोई भुगतान भी नहीं कर सकेगा और ना ही भुगतान करने का कोई समझौता कर सकेगा।
क्या है लक्ष्मी विलास बैंक का मामला?
सरकार ने डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक के अधिग्रहण की योजना की घोषणा की है। बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए आरबीआई की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। इसमें बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरिता के हितों का ख्याल रखा गया है। रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के निदेशक मंडल को भी हटा दिया है और केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टीएन मनोहरन को 30 दिनों के लिए उसका प्रशासक नियुक्त किया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इसलिए बैकिंग नियमन अधिनियम 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के बैंक पर पाबंदी लगाई है।
इसके बाद आज लक्ष्मी विलास बैंक के शेयर में जोरदार गिरावट देखी जा रही है। 12.45 के स्तर पर खुलने के बाद सुबह 10.46 बजे इसमें 19.94 फीसदी की गिरावट आई। पिछले कारोबारी दिन यह 15.55 के स्तर पर बंद हुआ था। मौजूदा समय में बैंक का बाजार पूंजीकरण 4.19 अरब रुपये है।
25,000 रुपये तक की निकासी कर सकते हैं ग्राहक
बयान में कहा गया है, ‘रिजर्व बैंक के परामर्श पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने बैंक पर 30 दिन के लिए पाबंदियां लगाई हैं।’ आदेश के मुताबिक लक्ष्मी विलास बैंक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना बचत, चालू या किसी तरह के जमा खाते से किसी जमाकर्ता को कुल मिलाकर 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान नहीं करेगा।
क्या है विलय का मसौदा?
इस बीच रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक के साथ विलय की मसौदा योजना भी सार्वजनिक की है। आरबीआई ने कहा, ‘विलय योजना को मंजूरी मिलने पर इसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) में सिंगापुर का डीबीएस बैंक 2,500 करोड़ रुपये (46.3 करोड़ सिंगापुर डॉलर) लगाएगा। इसका वित्त पोषण पूरी तरह से डीबीएस के मौजूदा संसाधनों से किया जाएगा।’
मुश्किलों में फंसने वाला निजी क्षेत्र का दूसरा बैंक
यस बैंक के बाद इस साल मुश्किलों में फंसने वाला लक्ष्मी विलास बैंक निजी क्षेत्र का दूसरा बैंक बन गया है। यस बैंक के ऊपर मार्च में पाबंदियां लगाई गई थीं। सरकार ने तब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मदद से यस बैंक को उबारा था। एसबीआई ने यस बैंक की 45 फीसदी हिस्सेदारी के बदले 7,250 करोड़ रुपये लगाया था।
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