नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में कुल 60,000 करोड़ रुपये के लोन फंसने और पुनर्गठन करने का अनुमान लगाया है। बैंक को पहले ही कोरोना पैकेज के तहत 6,495 करोड़ रुपये के कर्ज पुनर्गठन के आवेदन मिले हैं। इसके अलावा 2,500 करोड़ रुपये तक के रिटेल लोन की रिस्ट्रक्चरिंग के भी आवेदन मिले हैं। इसके अलावा एमएसएमई सेक्टर की ओर से भी बड़े पैमाने पर लोन रिस्ट्रक्चरिंग के आवेदन किए गए हैं।
कॉरपोरेट सेक्टर की बात करें तो 42 ग्राहकों ने करीब 4,000 करोड़ रुपये के कर्जों के पुनर्गठन की अर्जी दी है। बैंक को दिसंबर 2020 तक अतिरिक्त लोन रिस्ट्रक्चरिंग की उम्मीद है। इस तरह से कंपनी को कोरोना काल में कुल 19,495 करोड़ रुपये के लोन का पुनर्गठन करना होगा।
आरबीआई ने कॉरपोरेट और बैंकों को दो साल की अवधि के लिए लोन पुनर्गठन के लिए दिसंबर 2020 तक का समय दिया है। पुनर्गठन के रूप में क्लासिफाइड लोन को एनपीए के रूप में नहीं माना जाएगा। हालांकि बैंक ऐसे लोन के खिलाफ प्रावधान बनाने के लिए स्वतंत्र हैं। एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा का कहना कि अतिरिक्त पुनर्गठन की रिक्वेस्ट काफी हद तक कॉरपोरेट से आ रही है जबकि एसएमई से थोड़ी बहुत आ रही है।
वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में लोन स्लिपेज लगभग 6,393 करोड़ रुपये है। एसबीआई का कहना है कि इसके अलावा अतिरिक्त प्रोफार्मा स्लिपेज 2020-21 की दूसरी तिमाही में 14,388 करोड़ रुपये है। बैंक को उम्मीद है कि चालू वर्ष की दूसरी छमाही में 20,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त स्लिपेज होगी। कुल स्लिपेज 40,781 करोड़ रुपये आंकी गई है।
बैंक का कहना है कि इस समय बड़ी चुनौती विस्तारित वर्किंग कैपिटल साइकल और उद्योग के लिए नकदी प्रवाह में गिरावट से उत्पन्न हुई है। हालांकि बैंक का क्रेडिट साल दर साल 6 फीसदी बढ़ा है। चेयरमैन खारा का कहना है कि रिटेल में क्रेडिट ग्रोथ कोविड-19 से पहले के स्तर पर आ गई है। हमने होम और ऑटो लोन में अच्छा ट्रैक्शन देखा है।
निजी बैंकों ने हासिल की 159 पर्सेंट की ग्रोथ: एक तरफ एसबीआई जैसा दिग्गज बैंक कोरोना काल में एनपीए बढ़ने की आशंका से जूझ रहा है तो इस बीच प्राइवेट बैंकों ने 159 पर्सेंट की ग्रोथ बीते साल के मुकाबले हासिल की है। निजी बैंकों को जुलाई-सितंबर तिमाही में 18,814 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ है। हालांकि अगस्त 2020 तक किसी भी ग्राहक के अकाउंट को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स न घोषित किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते अभी पूरा आकलन नहीं किया जा सका है।