नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपना बयान दिया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। प्रधाननंत्री ने कहा कि हमने बुद्धिजीवी सुने थे लेकिन अब आंदोलनजीवियों की एक नई जमात आ गई है जो हर आंदोलन में दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान करके हमें इनसे बचना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ऐसे लोगों से सतर्क रहने की जरूरत है जो भारत को अस्थिर करना चाहते हैं। सदन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का उद्धरण पढ़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने कहा, ‘हमारी सोच है कि बड़ी मार्केट को लाने में जो अड़चने हैं, हमारी कोशिश है कि किसान को उपज बेचने की इजाजत हो।’ उन्होंने जो कहा था उसे मोदी कर रहा है। इसपर गर्व होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। उन्होंने कहा कि एमएसपी था, है और हमेशा रहेगा। मंडियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा। एलएसी पर भारत की स्थिति को साफ करते हुए उन्होंने कहा कि हमने सीमा सुरक्षा के उच्च मानकों को बनाए रखा है। यहां पढ़ें उनके संबोधन की मुख्य बातें-
एलएसी की स्थिति पर भारत का रुख स्पष्ट है
ये देश हर सिख पर गर्व करता है। उन्होंने देश के लिए क्या कुछ नहीं किया। उनका जितना हम आदर करें, वो कम होगा। जो लोग उनको गुमराह करने की कोशिश करते हैं, उससे देश का कभी भला नहीं होगा
एलएसी की स्थिति पर भारत का रुख स्पष्ट है और पूरे देश ने इसे देखा है। हमने सीमा सुरक्षा के उच्च मानकों को बनाए रखा है और हम इस मुद्दे पर दृढ़-संकल्प हैं।
कोरोना के कारण आप लोग फंसे रहते होंगे, लेकिन आपने सारा गुस्सा मेरे ऊपर निकाल दिया तो आपका मन भी हल्का हुआ। मैं आपके काम आया, ये मैं अपना सौभाग्य मानूंगा। ये आनंद आप लगातार लेते रहिए और मोदी है तो मौका लीजिए।
हमें एफडीआई के नए संस्करण से भारत को बचाना चाहिए जो- विदेशी विनाशकारी विचारधारा है।
जबकि हमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का पहला रूप बरकरार रखना चाहिए, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, हमें एफडीआई के नए संस्करण से अपनी रक्षा करनी चाहिए।
देश को आंदोलनजीवियों से बचाने की जरूरत है
पिछले कुछ सालों में एक नई जमात सामने आई है, आंदोलन जीवियों की। ये वकीलों का आंदोलन हो, छात्रों का आंदोलन हो, सब जगह पहुंच जाते हैं। ये आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं। देश को इन आंदोलनजीवियों से बचाने की जरूरत है।
मैं महामारी के दौरान जबरदस्त धैर्य दिखाने के लिए महिलाओं को पर्याप्त रूप से धन्यवाद नहीं दे सकता। परेशानी के समय में उन्होंने अपने परिवार को किस तरह से संभाला।
आत्मानिर्भर भारत तभी संभव है जब हर कोई इसमें भाग ले। कोविड के दौरान सरकार ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि देश भर की महिलाओं को किसी बड़ी चुनौती का सामना न करना पड़े।
इस सदन की पवित्रता समझें
भारत के उज्ज्वल भविष्य में ईस्टर्न इंडिया बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जिस प्रकार देशभर में स्वीकृति मिली है, वह अपने आपमें सराहनीय है।
भारत की युवा शक्ति पर हम जितना जोर लगाएंगे, हम जितने अवसर उनको देंगे, मै समझता हूं कि वो हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए मजबूत नींव बनेंगे।
गांव और शहर की खाई को अगर हमें पाटना है तो उसके लिए आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ना होगा।
इस सदन की पवित्रता समझे हम। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन दिया जाता है वो भी लगातार रहेगा।
हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि परिवर्तन से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी।
हमें देश को आगे ले जाना होगा
मैं आप सभी को निमंत्रण देता हूं कि हम देश को आगे बढ़ाने के लिए, कृषि क्षेत्र के विकास के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, हमें देश को आगे ले जाना होगा। आइए मिलकर चलें।
हर कानून में अच्छे सुझावों के बाद कुछ समय के बाद बदलाव होते हैं। इसलिए अच्छा करने के लिए अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ हमें आगे बढ़ना होगा।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में क्या हुआ। इन सभी ने एक या दूसरे तरीके से राष्ट्र को चोट पहुंचाई है। इस प्रकार, हमने इन सभी समस्याओं को हल करने के लिए तेजी से काम किया है।
एमएसपी था, है और भविष्य में भी रहेगा
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब के साथ क्या हुआ। इसे विभाजन के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। यह 1984 के दंगों के दौरान सबसे ज्यादा रोया था। वे सबसे दर्दनाक घटनाओं के शिकार हुए। जम्मू-कश्मीर में मासूमों की हत्या कर दी गई। हथियारों का कारोबार उत्तर पूर्व में किया जाता था। इस सबने राष्ट्र को प्रभावित किया।
शरद पवार जी, और कांग्रेस के लोग, सभी … सभी सरकारें कृषि सुधारों के लिए खड़ी हुई हैं। वे ऐसा करने में सक्षम थे या नहीं, लेकिन सभी ने वकालत की है कि यह किया जाना चाहिए।
भारत को सिखों के योगदान पर बहुत गर्व है। यह एक ऐसा समुदाय है जिसने राष्ट्र के लिए बहुत कुछ किया है। गुरु साहिबों के वचन और आशीर्वाद अनमोल हैं।
एमएसपी था। एमएसपी है। भविष्य में भी एमएसपी बना रहेगा। गरीबों के लिए किफायती राशन जारी रहेगा। मंडियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा।
कांग्रेस और सभी दलों ने कृषि सुधारों की बात कही है
‘किसान उड़ान’ के द्वारा हवाई जहाज से जैसे हमारे नार्थ ईस्ट की कितनी बढ़िया-बढ़िया चीजें जो ट्रांसपोर्ट सिस्टम के अभाव में वहां का किसान लाभ नहीं उठा पाता था, आज उसे किसान उड़ान योजना का लाभ मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सदन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कथन पढ़ा, ‘हमारी सोच है कि बड़ी मार्केट को लाने में जो अड़चने हैं, हमारी कोशिश है कि किसान को उपज बेचने की इजाजत हो।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है, आप गर्व कीजिए।
कांग्रेस और सभी दलों ने कृषि सुधारों की बात कही है। पिछले 2 दशक से ये सारी बातें चल रही हैं। ये समाज परिवर्तनशील है। आज के समय हमें जो सही लगा उसे लेकर चलें, आगे नई चीजों को जोड़ेगें। रुकावटें डालने से प्रगति कहां होती है।
2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किए
पहली बार हमने किसान रेल की कल्पना की। छोटा किसान जिसका सामान बिकता नहीं था, आज गांव का छोटा किसान किसान रेल के माध्यम से मुंबई के बाजार में अपना सामान बेचने लगा, इससे छोटे किसान को फायदा हो रहा है।
2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किया, हमने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान, छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके। पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को दिए गए है।
दूध उत्पादन किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों मिलकर कार्य कर रहे हैं। पशुपालकों जैसी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए।
पीएम ने पूछा- पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या
2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किया, हमने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान, छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके। पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को दिए गए है।
लेकिन जब कर्जमाफी करते हैं तो छोटा किसान उससे वंचित रहता है, उसके नसीब में कुछ नहीं आता है। पहले की फसल बीमा योजना भी छोटे किसानों को नसीब ही नहीं होती थी। यूरिया के लिए भी छोटे किसानों को रात-रात भर लाइन में खड़े रहना पड़ता था, उस पर डंडे चलते थे।
पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या? जब हम चुनाव आते ही एक कार्यक्रम करते हैं कर्जमाफी। ये वोट का कार्यक्रम है या कर्जमाफी का ये हिन्दुस्तान का नागरिक भली भांति जानता है।
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