नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): देश में कोरोना वायरस लगभग हर तरफ अपने पैर पसार चुका है। रोजाना तकरीबन 80 से 85 हजार मामले सामने आ रहे हैं। भारत में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 63 लाख पार कर चुकी है, जबकि एक लाख से अधिक लोगों की मौत इस वायरस के कारण हो चुकी है। विशेषज्ञ ऐसा मान रहे हैं कि अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन आने शुरू हो जाएंगे. पर अभी सब तक पहुंच पाना कठिन है। ऐसे में आम जनता के पास मास्क ही सबसे बड़ा हथियार है, जो उन्हें इस खतरनाक वायरस के संक्रमण से बचाकर रख सकता है।
मास्क पूरी तरह से नाक और मुंह को ढ़क कर रखता है, जिस कारण कई लोगों को ये संदेह था कि सांस लेते वक्त वो दोबारा कार्बन डायॉक्साइड न भीतर ले लें जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाए। हालांकि, शोधकर्ताओं ने इस बात का खुलासा किया है कि चेहरे पर मास्क लगाने से कार्बन डायॉक्साइड पॉइजिनंग का खतरा नहीं है।
आइए जानते हैं विस्तार से
फेफड़े के मरीज तक को नहीं है खतरा: ‘टेलीग्राफ’ की एक खबर के अनुसार अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कहा कि उनके शोध में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिससे साबित हो सके कि मास्क पहनने से लोगों के शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उनके अनुसार वैसे लोग जो फेफड़े की बीमारी से ग्रस्त हैं, वो भी फेस मास्क का इस्तेमाल बिना किसी डर के कर सकते हैं। बता दें कि दुनिया भर में स्वास्थ्य विशेषज्ञ और अधिकारी लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर सर्जिकल अथवा डबल लेयर कपड़े का मास्क पहनने का आग्रह कर रहे हैं। ताकि कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा लोगों में कम हो सके।
किन पर किया गया शोध: यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी हॉस्पिटल के मेडिसिन विशेषज्ञ माइकल कैम्पोस, जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व भी किया है, वो कहते हैं कि जो लोग गंभीर फेफड़े रोग से भी पीड़ित हैं – मास्क उनके लिए भी खतरनाक नहीं है। इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 15 स्वस्थ लोगों और 15 क्रॉनिकल ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज (COPD) के मरीजों को शामिल किया।
इन सभी को सर्जिकल मास्क पहनकर 6 मिनट का वॉक टेस्ट देने को कहा गया जिसमें उम्मीद के अनुरूप COPD के मरीजों को सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन ओवरॉल इस समूह के लोगों में गैस एक्सचेंज के कारण कोई शारीरिक बदलाव देखने को नहीं मिला।
जल्द मिल सकती है पहली वैक्सीन: तमाम देशों में कोरोना वायरस को लेकर वैक्सीन बनने की प्रक्रिया तेजी से शुरू हो चुकी है। अमेरिका जहां फाइजर टीके को लेकर उम्मीदें बढ़ा रहा है, वहीं, Sinovac की इनऐक्टिवेटेड डबल डोज वैक्सीन, मॉडर्ना वैक्सीन mRNA-1273 और Oxford-AstraZeneca की एडेनोवायरस वेक्टर सिंगल डोज वैक्सीन भी डेवलेपमेंट की राह पर आगे बढ़ रही है।
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