जशपुरनगर (वीकैंड रिपोर्ट): जिला प्रशासन ने दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन पर्यावरण और पुरातत्व के विषय पर आयोजित किया था, लेकिन इस सेमीनार में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्र स्तरीय बृद्विजीवियों की उपस्थिति में कुछ ऐसा हुआ, जिसे देख और सुनकर सेमीनार में उपस्थित लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। इस सेमीनार में सांप के विषय पर प्रस्तुतीकरण चल रहा था। इस दौरान प्रस्तीकरण दे रहे ग्रीन नेचर वेलफेयर सोसायटी के कैसर हुसैन ने जैसे ही सर्पदंश के मामले में जड़ी-बूटी और झाड़-फूंक के भरोसे ना रह कर समय पर इलाज कराने की अपील की। सेमीनार में मौजूद कुछ लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। इनका कहना था कि जड़ी-बूटी का प्रचलन मेडिकल साइंस के अस्तित्व में आने से पहले से चला आ रहा है। जो लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं, वे ही इसका विरोध करते हैं। पीढिय़ों से चले आ रहे विश्वास और अंधविश्वास को लेकर सत्र के बीच में ही तकरार हो गई। प्रस्तुतीकरण समाप्त होते ही सेमीनार में उपस्थित अगरिया समाज के अगरिया ने जीएनएसडब्लू के तथ्यों का विरोध ब्राउन्स बेक प्रजाति का सांप कम जहर वाले सांपों के श्रेणी में आता है। इसके काटने से व्यक्ति की मौत नहीं होती है। रोपन अगरिया ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह सांप बहुत जहरीला होता है। सांप काटने के बाद पेड़ में चढ़ जाता है और पीडि़त की मौत के बाद उसे देखने के लिए यह सांप पेड़ से उतरता है। रोपन ने झाड़-फूंक और जड़ी-बूटी से सर्पदंश से इलाज करने का दावा भी सेमीनार में ही कर दिया। वे यहीं नहीं रूके। अपने बगल में बैठे हुए अमासू राम की ओर ईशारा करते हुए उन्होने दावा कि इन्हें सर्पदंश होने पर जड़ी-बूटी से ही इलाज कर ठीक किया था। इस मामले में हद तो उस वक्त हो गई जब पेशे से मेकेनिकल इंजिनियर अमासू राम अगरिया ने जड़ी-बूटी के बूते सर्पदंश से मृत व्यक्ति को जीवित करने का दावा कर दिया। मामले को बढ़ता देख आयोजकों ने भोजनावकाश की घोषणा कर दी और इस तकरार को खत्म किया।]]>
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