नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर हर साल 23 दिसबंर को राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) मनाया जाता है, जिन्होंने अपने कार्यकाल में कृषि क्षेत्र के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और किसानों के हित के लिए कई किसान-हितैषी नीतियों का मसौदा तैयार किया. भले ही चौधरी चरण सिंह बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री थे, लेकिन उन्होंने भारतीय किसानों के कल्याण के लिए कड़ी मेहनत की. इतना ही नहीं, उन्होंने किसानों के लिए कई योजनाएं भी शुरू कीं और 2001 में सरकार ने चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन को किसान दिवस (Kisan Diwas) के रूप में मनाने का फैसला किया.
किसान दिवस का महत्व
यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कृषि क्षेत्र की नवीनतम सीखों के साथ समाज के किसानों को सशक्त बनाने का विचार देता है. किसान दिवस (Kisan Diwas) समारोह लोगों को किसानों के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों के बारे में शिक्षित करने का काम करता है. यह भी कहा जाता है कि चौधरी चरण सिंह ने सर छोटू राम की विरासत को आगे बढ़ाया, उन्होंने 23 दिसंबर 1978 को किसान ट्रस्ट भी बनाया, ताकि देश में किसानों के मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके.
किसान दिवस का इतिहास
किसान दिवस (Kisan Diwas) एक सार्वजनिक अवकाश है, जो देश के किसानों और उनके काम का जश्न मनाता है. भारत में यह दिन 23 दिसंबर को मनाया जाता है. इस दिन को विशेष रूप से चौधरी चरण सिंह के उत्सव के लिए चुना गया था, जो देश में किसानों के कल्याण के लिए काम करने वाले अग्रदूतों में से एक थे. इस दिन को अर्थव्यवस्था में भारतीय किसानों की भूमिका को याद करने के लिए चिह्नित किया गया है. यह दिन चौधरी चरण सिंह की जयंती पर मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने छोटे और सीमांत किसानों के मुद्दों को सबसे आगे लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह हमेशा किसानों के अधिकारों के लिए लड़े और खड़े रहे.