महंतों ने भी लोगों से अपील की कि इस दिन अपने घरों में दिए जलाएं क्योंकि राम मंदिर निर्माण दिवाली के उत्सव से कम नहीं हैं। इसी बीच जो एक और बात इन दिनों चर्चा में है वो है राम मंदिर के नीचे लगने वाला टाइम कैप्सूल (Time Capsule)। टाइम कैप्सूल अयोध्या में राम मंदिर की नींव में 200 फीट नीचे लगाया जाएगा। कई लोग इसके बारे में जानना चाहता है कि आखिर यह है क्या। तो बता दें कि साल 1973 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भी ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल लाल किले के 32 फीट नीचे डलवाया था।
क्या होता है टाइम कैप्सूल?
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है जिसे विशिष्ट सामग्री से बनाया जाता है। टाइम कैप्सूल में हर तरह के मौसम का सामना करने की सक्षमता होती है। इसे जमीन के अंदर काफी गहराई में दफनाया जाता है। गहराई में होने के बावजूद भी हजारों साल तक न तो टाइम कैप्सूल को कोई नुकसान पहुंचता है और न ही वह सड़ता-गलता है। इसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख होता, खासकर तब का जब उस भवन या मूर्ति का निर्माण हो रहा हो। भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 30 नवंबर, 2017 में स्पोन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल मिला था। यह यीशू मसीह के मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के अंदर एक दस्तावेज था जिसमें 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सूचना थी।
इंदिरा गांधी ने लाल किले में डलवाया था टाइम कैप्सूल
15 अगस्त साल 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही टाइम कैप्सूल डाला था। इसे कालपत्र नाम दिया गया था। साल 1970 के शुरुआती दिनों में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ताकतवर शख्सियत के रूप में उभरी। उन्होंने भारत की राजनीति को नया आकार देने में मदद की थी। उस समय उन्होंने लाल किले के परिसर में टाइम कैप्सूल दफन करवाया था। इस बारे में Netaji: Rediscovered नाम की किताब में डिटेल से बताया गया है। इस किताब को कनाईलाल बासु ने लिखा है।
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