जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट)- Makar Sankranti : मकर संक्रांति हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण का आरंभ होता है। यह त्योहार नई फसल के आगमन का प्रतीक है और इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने के बाद तांबे के बर्तन में जल, सिंदूर, लाल फूल और काले तिल डालकर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अंजुली में जल लेकर “ऊं सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव का ध्यान करना चाहिए। वेद-पुराणों और योग शास्त्रों में सूर्यदेव की उपासना को स्वास्थ्य और सुख का कारक बताया गया है। नियमित पूजा से रोग दूर होते हैं और शरीर की कमजोरी या जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
मकर संक्रांति नई फसल के आगमन का उत्सव है। किसान इस दिन सूर्य देव को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने उन्हें अच्छी फसल दी। इस पर्व पर सूर्य देव की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, माघ महीने की प्रतिपदा तिथि 14 जनवरी दिन मंगलवार को सुबह 3 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी और 15 जनवरी दिन बुधवार को सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। 14 जनवरी को सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर प्रवेश करेंगे. तभी शाही स्नान के लिए पुण्य काल शुरू होगा।
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