उत्तराखंड विद्वत सभा के प्रवक्ता ज्योतिषाचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं के अनुसार, बड़ी दिवाली पर सुबह 6 बजे से रात 8.30 बजे तक सर्वार्थ योग रहेगा। इस योग को प्रत्येक कार्य के लिए शुभ माना जाता है। जबकि, व्यापारिक प्रतिष्ठान पूजा का मुहूर्त दोपहर 12.09 से शाम 4.05 बजे तक होगा। वहीं, लक्ष्मी पूजन शाम 5.05 से रात 8.12 बजे तक रहेगा।
दिवाली पर लगातार पांच दिन चलने वाला पांच दिनी पंचोत्सव इस बार तिथि के फेर के चलते चार दिन में ही सिमट जाएगा। इसके बाद छोटी और बड़ी दोनों दिवाली का संयोग एक ही दिन पड़ रहा है।
गंगा सभा विद्वत परिषद के सदस्य अमित शास्त्री ने बताया कि 14 नवंबर शनिवार को स्वाति नक्षत्र में नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली एवं महालक्ष्मी पूजन की बड़ी दिवाली एक साथ मनाई जाएंगी। यह दिन शुभ और पितृकर्म दोनों प्रकार के कार्यों का अवसर प्रदान करता है।
तीसरे दिन 15 नवंबर रविवार को अमावस्या सवेरे 10.36 बजे समाप्त हो जाएगी। प्रतिपदा का आगमन हो जाने से गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का पर्व इसी दिन पड़ेगा। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। चौथे दिन 16 नवंबर को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा।