नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट)- Birsa Munda was a strong voice against religious conversion… दिल्ली के सराय कालेखां ISBT चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक कर दिया गया है। उक्त ऐलान केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किया। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने जनजातीय गौरव दिवस पर भुवनेश्वर में कहा, “आज जनजातीय गौरव दिवस है। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को भगवान बिरसा मुंडा और उनके नेतृत्व में आदिवासी परिवार के लोगों द्वारा दिए गए बलिदानों के बारे में बताना था… मैं इस दिन की सभी को शुभकामनाएं देता हूं।” बिरसा मुंडा एक युवा स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी समुदाय के नेता थे। बिरसा मुंडा, मुंडा जनजाति से थे। उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड में हुआ था। बिरसा ने ‘उलगुलान’ या ‘द ग्रेट ट्यूमुल्ट’ नामक आंदोलन शुरू किया।
Birsa Munda was a strong voice against religious conversion… उस दौरान लोग उन्हें “धरती अब्बा” कहते थे, जिसका अर्थ है “पृथ्वी का पिता”। उन्होंने ब्रिटिश मिशनरियों और उनकी धर्मांतरण गतिविधियों के खिलाफ एक बड़ा धार्मिक आंदोलन खड़ा किया। उन्होंने मुख्य रूप से मुंडा और ओरांव आदिवासी समुदाय के लोगों की मदद से ईसाई मिशनरी की धार्मिक रूपांतरण गतिविधियों के खिलाफ विद्रोह किया। जल, जंगल, जमीन और आदिवासियों के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया है।