
सिवनी (वीकैंड रिपोर्ट): सड़कों पर खड़े लोग झूमते हुए चल रहे थे। उनके आसपास ढोल और डीजे की ध्वनि सुनाई दे रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे ये किसी बारत में शामिल हैं लेकिन घोड़ी पर दूल्हे को न देख ये लोग आश्चर्य में पड़ गए। दरअसल ये लोग मेंढक व मेंढकी की बारात निकाल रहे थे।
इन लोगों ने बारात निकालने के ही साथ, मेंढक व मेंढकी की शादी भी करवाई। पिछले एक पखवाड़े से अच्छी बारिश नहीं होने पर शहर के मठ मंदिर से कश्यप समाज के लोगों ने मेंढक, मेंढकी की ढोल बाजों और डीजे के साथ बारात निकाली। बारात शहर के मुख्य मार्गो से होकर वापस मठ मंदिर पंहुची। यहां पूजन कर इंद्रदेव को मनाने का प्रयास किया गया।
इस बारात में गांव के बच्चे, युवा, वृद्ध, महिलाएं सभी शामिल होते हैं। वार्ड वासियों ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा मुंसर में बांधे मेंढकों को पानी पिलाया जाता है ताकि वे जिंदा रह सकें और उनकी शादी हो सके। ग्रामीणों के अनुसार मेंढक को तरसा तरसा कर पानी पिलाने के पीछे मान्यता है कि मेंढक जितना तड़पते हैं भगवान इंद्रदेव को उतना दर्द होता है। मेंढक की तड़पन को दूर करने के लिए भगवान इंद्रदेव बारिश करने लगते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार सदियों पुरानी परंपरा है कि उनकी शादी कराने और अनुष्ठान कराने से मूसलाधार बारिश होती है। वही ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। जब भी बारिश नहीं होती इस तरह का आयोजन किया जाता है। इससे पूर्व 2008 में इसी तरह का आयोजन किया गया था। तब उसी वर्ष 2 माह तक लगातार तेज बारिश हुई थी। इन लोगों ने साथ ही ईश्वर से अच्छी वर्षा करने के लिए कामना की। यह प्रदर्शन छपारा नगर के गोकलपुर वार्ड में किया गया। वार्ड वासियों ने बताया कि बारिश नहीं होने से खेत में लगी फसलें भी मुरझाने लगी हैं। इतना ही नहीं बैनगंगा नदी भी सूखी हुई है। जिससे पेयजल जैसी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।]]>
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