जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : पिछले एक साल में पहली बार एक दिन में 510 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। एक्टिव केसों में भी पंजाब भर में जालंधर पहले नंबर पर पहुंच चुका है। वीरवार को 510 केसों में से 47 मरीज बाहरी जिलों में रहने वाले और 6 मरीजों ने दम तोड़ दिया। संक्रमितों में 78 लोगों की रिपोर्ट 7 से 10 मार्च की है, जिसे 18 मार्च के आंकड़े में जोड़ा गया है। उक्त रिपोर्ट लाल पाथ लैब ने देरी से भेजी, जिस कारण सिविल सर्जन डाॅ. बलवंत सिंह ने लाल पाथ लैब को नोटिस जारी किया।
डाॅ. बलवंत सिंह का कहना है कि ऐसी लापरवाही भारी पड़ सकती है क्योंकि विभाग के पास ऐसे 78 लोगों की कोई सूची नहीं है कि वे कब संक्रमित हुए और किन-किन लोगों से मिले हैं। वीरवार को 463 संक्रमित किसी के संपर्क में नहीं थे। इनमें से 70% मरीजों को बुखार और खांसी ज्यादा थी, जिस कारण उनकी रिपोर्ट पाॅजिटिव आई है।
जिले के लगभग सभी इलाकों से संक्रमित मिले हैं। वीरवार को सरकारी लैब से 165, प्राइवेट लैब से 216 और बाकी मरीज ट्रूनेट और रेपिड एंटीजन टेस्ट से आए हैं। वीरवार को करतारपुर की 42 साल की महिला ने सिविल में, जमशेर के 47 साल के व्यक्ति ने निजी अस्पताल में, फूलपुर के 55 साल के व्यक्ति ने सिविल में, बूटा मंडी निवासी 65 साल के बुजुर्ग ने सिविल में, अर्बन एस्टेट की 75 साल की महिला ने पिम्स में और गुरु नानक पुरा निवासी व्यक्ति ने प्राइवेट अस्पताल में दम तोड़ा।
प्राईवेट लैबस पर सख्ती करने के आदेश
विभाग के फील्ड के डाॅक्टर और संक्रमित मरीजों से संपर्क साधने वाले डाॅक्टर्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे कई दिनों से जिला प्रशासन और सिविल सर्जन दफ्तर के अधिकारियों को प्राइवेट लैब पर शिकंजा कसने के लिए कह रहे हैं क्योंकि 10 दिन तक वे संक्रमित मरीजों की रिपोर्ट नहीं भेज रहे। साथ ही संक्रमित मरीजों के पते भी गलत लिख रहे हैं। इसके बावजूद किसी भी अधिकारी ने समय रहते कोई करवाई नहीं की।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला प्रशासन और सेहत विभाग ने गंभीर लक्षण वाले मरीजों के मौके पर एंटीजन रेपिड टेस्ट करने के लिए कहा है। वीरवार की रिपोर्ट में भी 80 लोगों की रिपोर्ट रेपिड एंटीजन के जरिये ही आई है। यह टेस्ट प्राइवेट अस्पताल और सरकारी डॉक्टरों की मोबाइल टीमों की तरफ से करवाए गए हैं। डीसी घनश्याम थोरी का कहना है लोगों का समय पर टेस्ट हो, इसलिए रेपिड टेस्ट करवाया जा रहा है ताकि पुष्टि होने के साथ ही मरीज का कोविड का इलाज शुरू किया जा सके।