जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट): हंसराज महिला महाविद्यालय जालन्धर में कॉलेज प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन जी के योग्यात्मक मार्गदर्शन अधीन एसोचैम नैशनल कौन्सिल ऑफ एजुकेशन के सहयोग से शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में वैबीनार-कम-समानांतर विचार-विमर्श का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया जिसका विषय – विश्व में आभासी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका एवं शिष्य का उत्तरदायित्व रहा। इस वैबीनार-कम-समानांतर विचार-विमर्श में शिक्षकों और शिष्यों सहित 600 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और समानान्तर विचार-विमर्श में सर्तकतापूर्ण सहभागिता की।
प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन जी ने सर्वप्रथम शिक्षक दिवस के सुअवसर पर सबको शुभकामनाएं दी एवं अपने वक्तव्य में कहा कि हंस राज महिला महाविद्यालय 94 वर्ष प्राचीन ऐसी संस्था है जिसका नींवपत्थर श्री राधा कृष्णन के शुभ कर-कमलों द्वारा रखा गया, जिनका जन्म दिवस हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। यह हमारे लिए वास्तव में गौरवमय है। गुरु एक मार्गदर्शक है, पथ प्रदर्शक एवं प्रकाशपुंज हैं, एक शिक्षक ही है जो अपने शिष्य को सही व गलत का ज्ञान प्रदान कर उसे सकारात्मकता की ओर अग्रसर करता है। यदि एक शिक्षक अपने शिष्य को सकारात्मक दिशा प्रदान करने में सक्षम होता है तो वह वास्तव में अपना कत्र्तव्य पूर्ण करने में सफल है। इस अवसर पर समानान्तर विचार-विमर्श में सर्वप्रथम प्रो. दिव्या लाल (सदस्य, एसोचैम नेशनल कौन्सिल एजुकेशन, मैनेजिंग डायरैक्टर फलिपलर्न एजुकेशन प्राईवेट लिमिटेड) ने आधुनिक कोविड-19 के समय में टैक्नालोजी जो कि गुरु व शिष्य के मध्य सेतु का काम कर रही है, पर चर्चा करते हुए कहा कि इस समय हम ऑनलाइन शिक्षण के माध्यम से छात्राओं को लाईव कक्षाओं में होमवर्क, असाइनमैन्ट एवं विचार-विमर्श का पूर्ण अवसर प्रदान कर उनकी जिज्ञासा को शान्त कर सकते हैं। इसी उपलक्ष्य में प्रो. नुपुर प्रकाश (प्रोफैसर, युनिवर्सिटी स्कूल आफ आईसीटी जीजीएस इन्द्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली) ने कहा कि आज का यह विषय आधुनिक समय में समीचीन है। उन्होंने स्कूल, कॉलेजों द्वारा इस समय निभाई जाने वाली अद्भुत भूमिका पर चर्चा की। इस शृंखला में डॉ. पंकज मित्तल (सेक्रेटरी जनरल, एसोसिएशन ऑफ इण्डियन यूनिवर्सिटी (एआईयू), डॉ. छवि भार्गव शर्मा (एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर एण्ड डीन फैकल्टी ऑफ बिहेवियर एण्ड सोशल साईंसिस मानव रचना इन्टरनैशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एण्ड स्टडी), श्रीमती अरुणा एम कटारा (प्रैसीडैन्ट, होप फाऊंडेशन एण्ड रिसर्च सैन्टर, पुणे) एवं डॉ. सबीना मथयॉस (एजुकेशन विशेषज्ञ, नैशनल स्किल डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन) ने भी इस पैनल पर विचार-विमर्श में भाग लिया एवं कोविड-19 के इस दौर में चल रही ऑनलाईन शिक्षा, शिक्षक एवं शिष्य के मध्य सेतु की भूमिका निभा रही टैक्नॉलोजी एवं जीवनपïïïर्यंत शिक्षा की ओर ध्यान केन्द्रित करने हेतु विभिन्न तथ्यों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। समस्त विचार-विमर्श का केन्द्रीय विषय वर्चुअल शिक्षा में शिक्षक की भूमिका एवं शिष्य का उत्तरदायित्व रहा। वेबिनार के दौरान प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन जी को उनके विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन को-कोआर्डिनेटर डॉ. अंजना भाटिया के संरक्षण किया गया। प्राचार्या जी ने समस्त कार्यक्रम की सफलता हेतु उन्हें बधाई दी। वेबीनार के अन्त में दर्शकों की जिज्ञासा की पूर्ति उनके प्रश्नों का उत्तर देकर की गई कि आधुनिक कोविड-19 के दौर में मानसिक अन्तद्वन्द्व से दूर रहकर, सकारात्मकता से सदैव शिक्षण ग्रहण करने में हम सब सक्षम बनें।
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