
जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : Politics on Manipur Violence : मणिपुर में हुए अत्याचार की चहुंओर निंदा हो रही है। पंजाब समेत सभी राज्यों के लोग इस हिंसा के विरोध में है। वहीं दो महिलाओं के साथ जो कुछ हुआ उसने इंसानियत शर्मसार कर दी है। इस अत्याचार के विरोध में पंजाब बंद का आह्वान किया गया है। बेशक यह निंदनीय घटना है लेकिन पंजाब बंद का आह्वान कई सवाल खड़े करता है। जैसे कि पंजाब बंद से क्या मणिपुर में शांति आ जाएगी या पंजाब बंद उस राजनीतिक नीति का हिस्सा है जो नीति 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर चल रही है। इस नीति में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से कई प्रकार के लोग काम कर रहे हैं।
अब आप ही बताइए जालंधर में दिहाड़ी पर काम करने वाले सेल्समैन की जब 9 अगस्त को दुकान ही नहीं खुलेगी तो बिना दिहाड़ी उसके घर में चूल्हा कैसे जलेगा। हालांकि जालंधर का ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो मणिपुर में हुई शर्मनाक घटना का विरोध नहीं कर रहा लेकिन दुकानों, बाजारों, दफ्तरों को बंद करवाना तर्कसंगत नहीं लगता। जिस गरीब आटोवाले, रिक्शावाले ने सवारी के आने पर पैसे कमाने हैं, पंजाब बंद के कारण उसे सवारी ही नहीं मिलेगी तो वे घर जाकर बच्चों को क्या खिलाएगा।
Politics on Manipur Violence : इसलिए पंजाब बंद का आह्वान करने वालों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि स्वैच्छिक बंद की अपील करें न कि किसी तरह के डर का माहौल पैदा करें, जालंधर के लोग इतने गंभीर हैं कि वे खुद ही ऐसी शर्मनाक घटना के विरोध का तरीका ढूंढ लेंगे। ये वो विचार हैं जो कई लोगों के मन में हैं लेकिन डर के कारण व विवाद से बचने के कारण वे आवाज बुलंद करने से कतराते हैं।
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