

जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : Insurance Workers Protest : आज देश की National Trade Unions के आह्वान पर केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के कर्मचरियों की Associations, Federations, LIC, GIC, और दूसरे Public Area के कर्मचारियों ने सरकार की Destructive Privatization की नीतियों के खिलाफ भोजनावकाश दौरान गेट रैली की। यहां Circle Office Jalandhar के प्रांगण में कर्मचरियों की विशाल रैली हुई जिसमें जालन्धर मण्डल और शहर में स्थित दूसरी सभी शाखाओं के कर्मचारियों ने भागीदारी की और सरकार की इन नीतियों के खिलाफ गगनभेदी नारे लगाते हुए सरकार की इन नीतियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवाया।
रैली को सम्बोधित करते हुए Northern Zone Insurance Employees Association के मण्डल सचिव साथी वेद कुमार ने बताया कि केन्द्र की भाजपा सरकार अपने पूंजीपाति मित्रों और विदेशी कार्पोरेट को खुश करने के लिए ताबड़-तोड़ ढंग से देश के आत्मनिर्भर विकास की रीढ़ को तोड़ने के लिए पूरी तरह लगी हुई है । भारत Government of India Insurance उद्धोग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49% से बढ़ाकर 74%, बीमा कानून में संशोधन करके LIC. IPO लाना, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको के विलय के बाद उनका निजीकरण और General Insurance Corporation की एक Company United India Insurance को निजीकरण की भेंट चढ़ाने की तैयारी में है।

Insurance Workers Protest : सरकार की दलील कि बीमा उद्धयोग पूंजी पर निर्भर है और इसके और प्रसार के लिए पूंजीकी जरूरत है इसलिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा का बढ़ाया जा रहा है और दूसरी दलील कि भारत में बीमे का जनता में प्रसार पूरी तरह नहीं हुआ इसलिए यह सीमा बढाई जा रही है पूरी तरह निराधार दलीलें हैं। Insurance में प्रसार को सकल घरेलु उत्पाद (GDP) और एकत्रित की गई Premium Income से जोड़कर प्रभाषित किया जा रहा है। एक अनुमान अनुसार 40 करोड़ Policyholder Private और Group Insurance Policy के द्वारा बीमा करवा चुके हैं और अनुमान है कि 60 करोड़ लोगों का बीमा होसकता है |
LIC एक कानून के द्वारा बनाई गई थी
Insurance Regulatory (IRDA) की 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2019 तक LIC में 9764 करोड़ और General Insurance में 4056 करोड़ की FDI आई थी जो क्रमवार 35% और 24% के करीब बनती है जबकि सीमा 49% थी। इस तरह FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की सीमा को बढ़ाने की दलील को ठीक नहीं ठहराया जा सकता । इसी तरह Life Insurance Corporation of India में LIC IPO (INITIAL PUBLIC OFFER) लेकर आना सही नहीं है | LIC एक कानून के द्वारा 1956 में बनाई गई थी।
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