जालंधर (वीकेंड रिपोर्ट) : हंसराज महिला महाविद्यालय को उच्च शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के विभाग द्वारा ग्रीन चैंपियन घोषित किया गया है। यह संस्था प्राचार्या प्रो. डॉ. श्रीमती अजय सरीन के प्रोत्साहानात्मक दिशा-निर्देशन अधीन प्रमुख रूप में मूल्य उन्मुख कौशल पर आधारित और विश्व स्तर पर सक्षम बनाने हेतु शिक्षाप्रदान करने के लिए निरन्तर प्रयासरत रहती है एवं देश द्वारा चलाई गई किसी भी मुहिम जो देश के विकास एवं समृद्धि के लिए आवश्यक है, यह संस्था भी उस दिशा की ओर निरंतर कदम बढ़ाकर अपना योगदान प्राप्त करती है। परिवेश के स्थायी संतुलन को बनाए रखने एवं पर्यावरण को सुरक्षित बनाने के विषय में आम जनता में जागरूकता प्रदान करने हेतु एच.एम.वी. कॉलेजिएट सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्राओं एवं प्राध्यापकों द्वारा वर्चुअल प्लेटफार्म पर जालंधर को ‘प्लास्टिक मुक्त’ बनाने का संकल्प लिया गया।
प्लास्टिक का उपयोग तथा गंभीर परिणाम
इस प्रतिज्ञा को मूर्त रूप देने हेतु छात्राओं द्वारा इस मुहिम से संबंधित नेताओं को ई-मेल भेजे गए जिसमें उन्होंने प्लास्टिक का उपयोग करने के गंभीर परिणामों का उल्लेख किया है क्योंकि प्लास्टिक गैर-बायोडिग्रेडेबल है और सदियों तक मिट्टी में रहता है। छात्राओं ने ई-मेल के माध्यम से यह भी ज्ञान दिया कि यह दयनीय और भयावह स्थिति न केवल जानवरों के विलुप्त होने के साथ दिखाई देती है, बल्कि यह स्थिति भयानक बीमारियों से भी उत्पन्न होती है जो मनुष्य को सूक्ष्म प्लास्टिक के रूप में घेर लेती है जिन्हें वे खाए जाने वाले भोजन के रूप में सेवन करते हैं।
प्लास्टिक को बैन करने हेतु उठाए जाएंगे ठोस कदम
इस मुद्दे पर लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए छात्राओं ने वीडियो बना कर यह संदेश दिया कि प्लास्टिक से पूरी तरह निजात पाने हेतु इसके प्रयोग पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगानी आवश्यक है, नहीं तो यह भविष्य में हमारी पृथ्वी के लिए एक सबसे बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
छात्राओं द्वारा इस पहल का परिणाम भी निकला जब इस मुहिम से संबंधित उच्च अधिकारियों एवं विभागों द्वारा स्कूल कोआर्डिनेटर मीनाक्षी स्याल को भी ई-मेल द्वारा उत्तर भेजा गया एवं विद्याथियों द्वारा किए गए प्रयत्नों एवं संस्था की प्रशंसा की गई एवं विश्वास दिलवाया कि प्लास्टिक को बैन करने हेतु उचित एवं ठोस कदम भी उठाए जाएंगे। प्राचार्या प्रो. डॉ. श्रीमती अजय सरीन ने बताया कि संस्था में प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध पहले से ही किया जा चुका है। उन्होंने छात्राओं द्वारा वातावरण को संभाल के लिए जताई जा रही चिंता की प्रशंसा की और वातावरण के संभाल के लिए प्रेरित किया।
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